शरीर के लिए जहर के समान हैं यह सफेद चीजें, पर इनके बिना रहा भी नहीं जाता
By: Geeta Fri, 18 Aug 2023 08:34:06
शरीर को स्वस्थ व मजबूत बनाए रखने के लिए जरूरी है कि हम भोजन में पोषक तत्वों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। आजकल हम जो भोजन खा रहे हैं उसमें पोषक तत्वों का नाम ही नहीं होता है। ज्यादातर हम लोग फास्ट फूड, चाइनीज और प्रोसेस्ड फूड के आदि होते जा रहे हैं। ये आहार हमारी जीभ का स्वाद तो बढ़ा देते हैं साथ ही यह हमारे शरीर को नुकसान भी पहुँचाते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अनजाने में आप अपने दैनिक भोजन में जहर ले रहे हैं। जी हां, कुछ ऐसी सफेद चीजें हैं जिन्हें आप अपने दैनिक आहार में शामिल करते हैं और यह आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं। आज हम अपने पाठकों को कुछ ऐसे ही सफ़ेद आहार के बारे में बताने जा रहे हैं जो जहर का काम करते हुए आपकी उम्र घटा रहे हैं।
मैदा
जब गेहूं के आटे को रिफाइंड किया जाता है तो इस प्रोसेस के दौरान गेहूं से फाइबर, गुड फैट, विटामिन और मिनरल अलग हो जाते हैं। इसलिए मैदा से बनी चीजें जैसे ब्रेड, केक, बिस्कुट आदि खाने से ट्राईग्लिसराइड बढ़ सकता है और अच्छे एचडीएल में कमी हो सकती है। साथ ही इसमें से फाइबर खत्म कर दिया जाता है। और इसमें किसी प्रकार का कोई भी डाइटरी फाइबर नहीं रह जाता है। जिसके कारण इसको डाइजेस्ट होने में काफी समय लगता है। सही से डाइजेशन ना होने के कारण इसका कुछ हिस्सा आंतों में ही चिपक जाता है। जो कई तरह की बीमारियों का कारण बन जाता है। ज्यादा खाने से अक्सर कब्ज की समस्या हो जाती है, बॉडी का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और बार-बार बीमार होने की संभावना बढ़ने लगती है।
आलू
आलू खाने में तो स्वादिष्ट होते ही हैं, इनमें कई औषधीय गुण भी होते हैं। आलू पौष्टिक तत्वों से भरा होता है। आलू में सबसे अधिक मात्रा में स्टॉर्च पाया जाता है। आलू में पोटेशियम और विटामिन ए और सी भी पर्याप्त मात्रा में होता है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि सफेद आलू में स्टार्च और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है। जाहिर है आलू को आप बटर या क्रीम के साथ या फिर डीप फ्राई करके खाती हैं जिससे आपको कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा होता है। डीप फ्राई आलू से टाइप 2 डायबिटीज और कैंसर का खतरा होता है।
पाश्चराइज्ड गाय दूध
इस दूध के बारे में एकमात्र अच्छी बात यह है कि इसमें लंबा जीवन है। पाश्चराइजेशन की प्रक्रिया लंबे समय तक दूध को अच्छी तरह से रखती है, लेकिन इसके पौष्टिक मूल्य को नुकसान पहुंचाती है। यह दूध से एंजाइम, विटामिन ए, बी 12 और सी हटा देता है। प्रक्रिया दूध में हार्मोन और एंटीबायोटिक्स भी स्थानांतरित करती है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि प्रक्रिया लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस जैसे आवश्यक और अच्छे बैक्टीरिया को भी नष्ट कर देती है। इसके अलावा लगभग 20% आयोडीन दूध से हटा दिया जाता है। इस प्रकार इसे लेने के बाद, आप कब्ज विकसित करने की अधिक संभावना रखते हैं।
चीनी
इसमें कोई संदेह नहीं है कि सफेद खाद्य पदार्थों के ग्रुप में चीनी सबसे ज्यादा नुकसानदायक है। रिफाइंड शुगर यानी चीनी को एम्प्टिी कैलारी भी कहते हैं। प्रोसेस्ड और रिफाइंड चीनी में कोई खास क्वालिटी नहीं होती। बल्कि नली में पहुंचते ही यह ग्लूकोज और फ्रुक्टोज में ब्रेक हो जाती है। जो लोग मेहनत नहीं करते, उनके शरीर में यह फैट के रूप में जमा हो जाती है, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। इतना ही नहीं लिवर की समस्या, इंसुलिन प्रतिरोध के अलावा डेंटल प्रॉब्लम और कैंसर जैसी स्वास्थ्य समस्या के लिए भी यह जिम्मेदार है।
चावल
ज्यादातर भारतीय घरों में चावल बनाए जाते हैं। कुछ लोगों को तो चावल खाने का इतना ज्यादा शौक होता है कि वो इसके बिना खाने की कल्पना तक नहीं कर सकते। अब समस्या यह है कि जिन ज्यादातर घरों में चावल परोसा जाता है, वह सफेद होता है। इसकी रिफाइनिंग प्रोसेस में भूसी और रोणाणु को हटा दिया जाता है, जिसके चलते इसमें मौजूद पोषक तत्व कम हो जाते हैं।
आइसक्रीम
यह एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो मुँह का स्वाद बदल देता है। लेकिन क्या आप जाते हैं कि इसके सेवन से शरीर को कितना नुकसान होता है। इसका कारण यह है कि यह दूध से नहीं बनाई जाती है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड रेग्यूलेशन एक्ट-2011 के अनुसार असली आइसक्रीम में सिर्फ दूध, दूध से बने प्रोडक्ट, शक्कर और मनचाहा फ्लेवर होना चाहिए। नियमानुसार 16 फीसदी मिल्क क्रीम होनी चाहिए। यह आइसक्रीम बनाना खर्चीला होता है, साथ ही कसावट भी कमजोर होती है। इसलिए घी-तेल का इस्तेमाल होने लगा।
वेजिटेबल ऑयल व वनस्पति घी से बनी आइसक्रीम खाने से सबसे बड़ा नुकसान तो शरीर में एलडीएल यानी खराब वसा बढऩे के तौर पर सामने आता है। यह कोलेस्ट्रोल बढ़ाता है। शरीर में जम जाता है, धमनियों में ब्लॉकेज बढ़ाकर दिल के लिए खतरा बनता है। ऐसी आइसक्रीम ज्यादा खाने से न सिर्फ दिल, बल्कि लिवर भी प्रभावित होता है। जाहिर है कि पाचन शक्ति बिगड़ेगी और शरीर के तमाम अंग प्रभावित होंगे।
दही
दही में प्रोटीन की क्वालिटी सबसे अच्छी होती हैं। दही जमाने की प्रक्रिया में बी विटामिनों में विशेषकर थायमिन, रिबोफ्लेवीन और निकोटेमाइड की मात्रा दुगुनी हो जाती है। दूध की अपेक्षा दही आसानी से पच जाता है। दही, जिसे हम आये दिन प्रयोग में लाते हैं, हमारे शरीर को स्वस्थ्य रखने में बहुत लाभकारी होती है। लेकिन दही को अगर सही समय पर नहीं खाया जाए तो यह शरीर के लिए जहर के समान है। दही को हमेशा सुबह के वक्त खाना चाहिए। रात को तो भूलकर भी दही का सेवन नहीं करना चाहिए। हालांकि आजकल शादी समारोह में दही का रायता और दही बड़े जरूर आइटम में शुमार है।
रात के समय दही क्यों नहीं खाना चाहिए
—पाचन क्रिया : रात को दही खाने से पाचन क्रिया में गड़बड़ी पैदा हो जाती है। इसे पचाने के लिए एनर्जी बर्न करने की जरूरत होती है। रात के समय ज्यादातर लोग खाने के बाद सो जाते है। जिससे दिक्कत बढ़ने लगती है। रात को दही खाने से यह स्लो पॉइज़न का काम करता है।
—खांसी और जुखाम : रात के समय दही खाने से शरीर में इंफैक्शन होने का डर रहता है। इससे खांसी और जुखाम हो सकता है।
—सूजन : शरीर में कुछ हिस्सों में अगर सूजन है तो रात के समय दही कभी न खाएं। इससे सूजन कम होने की बजाए बढ़ जाएगी।
—गठिया या जोड़ों का दर्द : गठिया या जोड़ों के दर्द से परेशान हैं तो रात के समय इसका सेवन करने से परहेज करें। इससे दर्द कम होने की बजाए बढ़ जाएगा।
परिष्कृत नमक
सामान्य टेबल नमक में आयोडीन होता है। एक स्वस्थ शरीर के लिए यह आवश्यक है। लेकिन नमक की परिष्करण नमक से आयोडीन को हटा देती है। परिष्करण की प्रक्रिया के दौरान फ्लोराइड जोड़ा जाता है। अधिक मात्रा में खपत होने पर फ्लोराइड खराब होते हैं। परिष्कृत नमक की खपत भी रक्तचाप बढ़ जाती है। यदि आप किसी विशिष्ट समस्या के बारे में चर्चा करना चाहते हैं, तो आप एक आहार विशेषज्ञ / पोषण विशेषज्ञ से परामर्श ले सकते हैं।
मेयोनीज
चाहे बच्चे हों या बड़े, मेयोनीज एक ऐसी चीज है, जिसे सभी पसंद करते हैं। बर्गर, पिज्जा या मोमोज के साथ मेयोनीज न हो तो स्वाद फीका लगता है। मेयोनीज खाने से सेहत को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। इससे आप कई गंभीर बीमारियों का शिकार भी बन सकते हैं। अगर आप पहले से ही डायबिटीज का शिकार हैं, तो फिर आपको इसे खाने से बचना चाहिए। मेयोनीज के ज्यादा सेवन से हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा भी होता है।
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