प्रदूषण को डॉ गुलेरिया ने बताया 'साइलेंट किलर', कहा - पहुंच गया है खून तक, फेफड़ों और दिल को पहुंचा रहा नुकसान
By: Priyanka Maheshwari Wed, 09 Nov 2022 5:29:48
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। हवा की गुणवत्ता बेहद खराब तक पहुंच गई। वहीं, एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने बढ़ते प्रदूषण को साइलेंट किलर बताया है। उन्होंने कहा कि पहले प्रदूषण की वजह से सिर्फ फेफड़ों और दिल को खतरा होता था। लेकिन अब यह साबित हो चुका है कि हवा में मौजूद छोटे-छोटे प्रदूषक हमारे खून में घुल जाते हैं, जिससे लोगों में स्ट्रोक, डिमेंशिया और अन्य डिसऑर्डर का खतरा बना रहता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में डॉ गुलेरिया ने कहा कि अब प्रदूषण का असर बहुत घातक होता जा रहा है। हम इसके नतीजों पर गौर करते हैं। पॉल्यूशन की वजह से बुजुर्ग और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। अस्पताल जाने वाले बुजुर्गों और बच्चों की संख्या बढ़ गई है। मैं ऐसे लोगों को भी जानता हूं जो इस सीजन में खराब हवा की वजह से कुछ दिनों के लिए दिल्ली छोड़कर देश के अन्य हिस्सों में चले जाते हैं। डेटा से पता चला है कि पॉल्यूशन से हार्ट अटैक की घटनाएं भी बढ़ी हैं क्योंकि इससे खून की धमनियों में सूजन आ जाती है।
गुलेरिया ने कहा कि हमारी स्टडी से पता चला है कि दिन के अधिकतर समय दिल्ली का AQI या तो खराब, बहुत खराब या बेहद खराब रहता है। उत्तर भारत में रह रहे लोग लगातार खराब हवा में सांस ले रहे हैं और इसका उनकी पूरी सेहत पर असर दिखना शुरू हो गया है। इससे हार्ट अटैक और श्वास संबंधी परेशानियां हो रही है। प्रदूषण की वजह से बच्चों के फेफड़े प्रभावित होते हैं। फेफड़ों का विकास 20 साल की उम्र तक होता है और अगर आप दूषित हवा ले रहे हैं तो फेफड़ों की क्षमता खराब होती चली जाती है।
गुलेरिया ने आगे कहा कि स्टडी बताती है कि दक्षिण भारत के बच्चों की तुलना में दिल्ली में बड़े हो रहे बच्चों के फेफड़े अधिक खराब होते हैं। दिल्ली में रहना दिल संबंधी बीमारियों के लिए जोखिम भरा है। गुलेरिया में वायु प्रदूषण की भयावह स्थिति को देखते हुए इसे साइलेंट किलर बताया। उन्होंने कहा कि अगर आपको सांस लेने में परेशानी है और आप लगातार खराब हवा में सांस ले रहे हैं तो यह स्थिति और घातक हो सकती है। इससे लंग कैंसर और हार्ट अटैक का खतरा अधिक बढ़ सकता है।
आपको बता दे, प्रदूषण से निपटने के लिए ढेरों नीतियां और कदम उठाए जाने के बावजूद इस समस्या से निजात नहीं मिल पाया। इसका कारण पूछने पर गुलेरिया ने कहा कि हमें इसे लेकर रणनीति तैयार करनी होगी।
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