मई-जून का महीना आते ही लोग अपने शरीर को कूल रखने के लिए अपनी डाइट में ठंडी तासीर वाली चीजें जैसे दही, जूस, शरबत आदि शामिल करना पसंद करते हैं। ये सभी पदार्थ शरीर को ठंडक पहुंचाने के साथ-साथ शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) को भी रोकते हैं, जिससे गर्मी के कारण होने वाली थकान और कमजोरी कम होती है। गर्मियों में शरीर को ठंडक पहुंचाने वाली ऐसी ही एक और लोकप्रिय और पौष्टिक पेय वस्तु है छाछ (बटरमिल्क)। छाछ न केवल पाचन को बेहतर बनाए रखने में मदद करती है बल्कि शरीर को हाइड्रेटेड भी रखती है। छाछ में प्रोबायोटिक्स होते हैं जो आंतों की सेहत को सुधारने में भी सहायक होते हैं। लेकिन, इसके बावजूद कुछ खास प्रकार के लोगों को छाछ पीने से सख्त परहेज करना चाहिए क्योंकि यह उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। आइए जानते हैं किन-किन लोगों को छाछ से दूर रहना चाहिए और क्यों।
1. लैक्टोज इंटॉलरेंस वाले लोग
लैक्टोज इंटॉलरेंस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर दूध में मौजूद लैक्टोज नामक शर्करा को पचाने वाला एंजाइम लैक्टेज पर्याप्त मात्रा में नहीं बनाता। इससे दूध या उससे बने उत्पादों का सेवन करने पर पेट में दर्द, भारीपन, गैस, सूजन, या दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं। छाछ भी दूध से बनी होने के कारण इसमें लैक्टोज होता है, इसलिए ऐसे लोगों के लिए इसका सेवन हानिकारक हो सकता है। इसके अलावा, लैक्टोज इंटॉलरेंस वाले व्यक्ति छाछ पीने के बाद बार-बार पेट में ऐंठन और एसिडिटी की शिकायत भी कर सकते हैं। ऐसे में छाछ से बचना ही बेहतर होता है।
2. दूध से एलर्जी वाले लोग
दूध या डेयरी उत्पादों से एलर्जी रखने वाले लोगों के लिए छाछ पीना जोखिम भरा हो सकता है। उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली दूध में मौजूद प्रोटीन को नुकसानदेह मान सकती है, जिससे त्वचा पर चकत्ते, खुजली, सूजन, सांस लेने में दिक्कत, या एरिथीमा जैसी गंभीर एलर्जिक प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं। कई बार एलर्जी प्रतिक्रिया से एनाफिलैक्सिस जैसी आपातकालीन स्थिति भी बन सकती है। इसलिए यदि आपको दूध से एलर्जी है, तो छाछ से पूरी तरह बचना चाहिए और इसके सेवन से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।
3. सर्दी-जुकाम और खांसी वाले लोग
आयुर्वेद के अनुसार, छाछ की तासीर ठंडी होती है और यह शरीर में कफ की मात्रा बढ़ा सकती है। इसलिए, सर्दी, जुकाम, या खांसी जैसे सांस से जुड़ी समस्याओं में इसका सेवन लक्षणों को और बढ़ा सकता है। छाछ पीने से गले में खराश या कफ जमा होने की समस्या तीव्र हो सकती है, जिससे खांसी और सांस लेने में परेशानी हो सकती है। साथ ही, ठंडी तासीर वाली छाछ से गले में जकड़न और आवाज खराब होने की संभावना भी होती है। इस दौरान छाछ का सेवन टालना ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर रहता है।
4. कमजोर पाचन तंत्र वाले लोग
जिन लोगों का पाचन तंत्र पहले से ही कमजोर या अस्वस्थ है, उन्हें छाछ पीने से पेट में जलन, भारीपन, अपच, या ऐंठन जैसी परेशानियां हो सकती हैं। छाछ में मौजूद एसिडिटी या ठंडी तासीर उनके पाचन तंत्र को और परेशान कर सकती है, जिससे पेट में गैस, एसिड रिफ्लक्स या पेट दर्द जैसे लक्षण प्रकट हो सकते हैं। इसके अलावा, भारी भोजन के बाद छाछ पीना भी अपच को बढ़ावा देता है। ऐसे लोग छाछ का सेवन करने से पहले अपने पाचन स्वास्थ्य का ध्यान रखें और डॉक्टर की सलाह लें।
5. किडनी की समस्या वाले लोग
छाछ में पोटैशियम और सोडियम की मात्रा होती है, जो सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के लिए फायदेमंद हो सकती है लेकिन किडनी की गंभीर समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। किडनी की समस्या वाले लोग यदि बिना डॉक्टर की सलाह के छाछ का सेवन करते हैं तो उनके शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है, जिससे किडनी पर और अधिक तनाव पड़ता है और समस्या गंभीर हो सकती है। इसलिए, किडनी रोगियों को छाछ पीने से पहले अपने नेफ्रोलॉजिस्ट या डॉक्टर से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।
6. गठिया या जोड़ों के दर्द से पीड़ित लोग
गठिया और जोड़ों के दर्द से पीड़ित लोगों के लिए भी छाछ पीना सावधानी का विषय होता है। आयुर्वेद के अनुसार छाछ की ठंडी तासीर जोड़ों की सूजन और अकड़न को बढ़ा सकती है। इसके सेवन से जोड़ों में दर्द, जकड़न और सूजन की समस्या और गंभीर हो सकती है, खासकर उन लोगों में जो पहले से गठिया के लक्षणों से परेशान हैं। इसलिए, गठिया पीड़ितों को छाछ के सेवन से बचना चाहिए या फिर इसे सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए।
सलाह:
यदि आपको कोई पुरानी बीमारी, एलर्जी या कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या है तो छाछ पीने से पहले अपने डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। सही मार्गदर्शन के बिना छाछ का सेवन आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अपनी डाइट में छाछ को शामिल करें और इसे संतुलित मात्रा में ही उपयोग करें ताकि गर्मियों में शरीर को ठंडक और पोषण दोनों मिल सके।