तुरंत छोड़ दें ये 10 चीजें खाना वरना सड़ जाएंगी आंतें, बनती है पेट के कैंसर की असली वजह
By: Priyanka Maheshwari Fri, 21 Oct 2022 4:25:37
गतिहीन जीवन शैली और गलत खान-पान के कारण युवाओं में भी पेट के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पेट या आंत का कैंसर तब होता है जब पेट या आंत में ट्यूमर बढ़ने लगता है। यह पेट की बड़ी आंत में होता है। यह आमतौर पर कोशिकाओं के छोटे गुच्छों के रूप में शुरू होता है जिन्हें पॉलीप्स कहा जाता है, जो आंत के अंदर पर बनते हैं। समय के साथ इनमें से कुछ पॉलीप्स कोलन कैंसर बन सकते हैं। पेट में कैंसर तुरंत नहीं बनता है बल्कि वर्षों में धीरे-धीरे विकसित होता रहता है। यह गंभीर बनने से पहले पेट की अंदरूनी परत में शुरू होता है। शुरुआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। यही कारण है कि इसका पता चलने में समय लग जाता है। पेट के कैंसर के कारण, लक्षण और परिणाम अलग-अलग हो सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि पेट के किस हिस्से में इसकी शुरुआत हुई थी। समय पर जांच और लक्षणों को पहचानकर डॉक्टर पॉलीप्स को कैंसर में बदलने से पहले उन्हें हटाकर कोलन कैंसर को रोकने में मदद कर सकते हैं।
पेट के कैंसर के लक्षण क्या हैं?
पेट के कैंसर के संकेत या लक्षण पहले नहीं दिखते हैं। हालांकि एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि जब पेट में कैंसर होता है, तो उसके कुछ लक्षण बहारी त्वचा खासकर मुंह पर नजर आ सकते हैं। त्वचा पर छोटे उभरे थक्के, सूजन और त्वचा का छीलना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। इसके अलावा आपको त्वचा में खुजली भी हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि मुंह पर दिखने वाले ये लक्षण आमतौर पर बीमारी के शुरुआती चरण हो सकते हैं। त्वचा पर दिखने वाले लक्षणों के अलावा पेट के कैंसर के शुरुआती लक्षणों में भूख न लगना, अचानक वजन कम होना, पेट में दर्द, मलाशय से खून बहना और पेट में बेचैनी या सूजन शामिल हैं। रोग के अन्य लक्षणों में बेचैनी, अपच, मतली और उल्टी शामिल है, जो खून के साथ या बिना हो सकती है। अगर आप थोड़ा सा खाने के बाद पेट भरा हुआ महसूस कर सकते हैं, तो यह भी एक संकेत हो सकते है। इसके अलावा कम हीमोग्लोबिन भी पेट के कैंसर का संकेत हो सकता है। मेयो क्लिनिक के अनुसार, आंतों के प्रभावित होने पर किसी व्यक्ति को अचानक दिन में चार या पांच बार शौचालय जाने जरूरत हो सकती है जोकि इसका सबसे बड़ा लक्षण है। मल त्याग के बाद भी अगर राहत महसूस नहीं होती, तो ट्यूमर का संकेत हो सकता है।
पेट के कैंसर का जोखिम किसे
पेट के कैंसर की समस्या जेनेटिक भी हो सकती है। अगर आपके परिवार के किसी को 40 या 50 वर्ष की उम्र से पहले यह कैंसर हुआ है, तो आपको इसका ज्यादा जोखिम है। इस उम्र तक पहुंचने से लगभग पांच साल पहले आपको कोलोनोस्कोपी करानी चाहिए। उसके बाद, आपको हर तीन से पांच साल में एक कोलोनोस्कोपी करानी चाहिए। इसके अलावा मोटापा, शराब, धूम्रपान, अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और असंतुलित आहार हैं इसके बड़े कारक हैं।
शरीर में कैंसर कैसे फैलता है?
शरीर में कैंसर फैलने के तीन तरीके हैं। यदि यह टिश्यू के जरिए फैलता है, तो आसपास के हिस्सों में बढ़ने से कैंसर फैल जाएगा। दूसरा, कैंसर आपके लसीका तंत्र में प्रवेश करके जहां से शुरू हुआ था, वहां से फैल सकता है। एक बार वहां पहुंचने के बाद यह आपके शरीर के अन्य हिस्सों में लसीका वाहिकाओं के जरिए बड़ी आराम से पहुंच जाता है। तीसरा, यदि कैंसर खून से फैलता है, तो यह आपके रक्त वाहिकाओं के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में जा सकता है।
खाने की कौन सी चीजें बढ़ाती हैं पेट के कैंसर का खतरा
खराब खान-पान पेट के कैंसर का मुख्य कारण बन सकता है। अगर अक्सर आप बाहर के खाने, प्रोसेस्ड फूड, मांस आदि के अधिक सेवन का इसका जोखिम अधिक बढ़ जाता है। इसके अलावा फाइबर नहीं खाना, हाई स्टार्च और कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करना भी इसका कारण बन सकता है। ध्यान रहे चीनी और मैदा पेट की सबसे बड़ी दुश्मन हैं। इनके अलावा फल-सब्जियों का कम सेवन भी इसके रिस्क से जुड़ा है। स्मोकिंग भी गैस्ट्रिक कैंसर की संभावना को बढ़ा सकते हैं।
डिब्बाबंद अचार
कई तरह के प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल कर आचार को तैयार किया जाता है, जैसे नाइट्रेट, नमक और आर्टिफिशियल रंग। इनके अधिक सेवन से पाचन तंत्र यानी पेट और कोलोन कैंसर का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
अल्कोहल
अल्कोहल के सेवन के बाद लिवर और किडनी को अतिरिक्त काम करना पड़ता है। अधिक मात्रा में शराब का सेवन मुंह, इसोफेगस, लिवर, कोलोन और रेक्टम कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है। अब सवाल ये है कि कितनी मात्रा में अल्कोहल का सेवन किया जा सकता है। ऐसे में शोध कहते हैं कि औरतें रोज एक ड्रिंक और पुरुष रोज 2 ड्रिंक लें, तभी ये सुरक्षित है।
नॉन ऑर्गेनिक फल
कोल्डस्टोरेज में रखे फलों की लाख सफाई के बावजूद उनपर केमिकल की परत चढ़ी ही रहती है। इसकी वजह से कैंसर होता है। निश्चित समय के बाद स्टोर किए हुए फलों को नष्ट कर दिया जाना चाहिए।
मैदा
आटे से मैदा बनाने की प्रक्रिया में कई कार्सिनोजेनिक तत्व निकलते हैं। इसके अलावा मैदे को सफेद रंग देने के लिए उसे क्लोरीन गैस से गुजारा जाता है। ये बहुत खतरनाक और कैंसर की कारक है। डायबिटीज के मरीजों के लिए मैदा और भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इससे ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है।
माइक्रोवेव पॉपकॉर्न
माइक्रोवेव में बनाया गया पॉपकॉर्न भी पेट के कैंसर का कारण बन सकता है । क्योंकि माइक्रोवेव में पॉपकॉर्न डालने से परफ्यूरोक्टानोइक एसिड बनता है। ये एक तरह का सिंथेटिक रसायन है जिससे पैंक्रियाज, किडनी, ब्लैडर, लिवर और टेस्टिकुलर कैंसर हो सकता है।
फार्म्ड सैल्मन मछली
सैल्मन मछली प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड का कापी अच्छा स्त्रोत है लेकिन इनकी बढ़ती मांग ने इनको भी जहरीला बना दिया है। दरअसल, इनको पानी की टंकियों में पाला जाता है और बीमारियों से बचाए रखने के लिए एंटीबायोटिक्स से भरी डायट दी जाती है। यही एंटीबायोटिक्स हमारे शरीर में प्रवेश करके कैंसर की का कारण बन जाते हैं। जांच में पाया गया कि फार्म्ड सैल्मन में मर्करी और डाइऑक्सिन जैसे खतरनाक केमिकल्स भरपूर मात्रा में हैं, ये सारे ही तत्व मनुष्यों की सेहत के लिए हानिकारक हैं।
प्रोसेस्ड मीट
मीट को सुरक्षित रखने के लिए जो केमिकल प्रयुक्त होते हैं, उनमें सोडियम का इस्तेमाल होता है। सोडियम से सोडियम नाइट्रेट बनता है जो कार्सिनोजेनिक है। प्रोसेस्ड मीट खाने से कैंसर होता है
आलू चिप्स
आलू चिप्स भले ही स्वाद में अच्छी लगती है लेकिन इसमें नमक और सेच्युरेटेड वसा अधिक होता है जो सेहत को नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा चिप्स में acrylamide नामक तत्व होता है जो अपने-आप में कार्सिनोजेनिक केमिकल यानी कैंसर पैदा करने वाला रसायन। ये केमिकल तेज आंच पर पके किसी भी खाने में पैदा हो सकता है, चिप्स भी इसी श्रेणी में है। Acrylamide सिगरेट में भी पाया जाता है, इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि चिप्स खाना सेहत के लिए कितना नुकसानदायक साबित हो सकता है।
सोडा
चीनी, आर्टिफिशियल केमिकल और रंगों की मदद से सोडा तैयार किया जाता है जो कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है। अगर आपको कैफीन लेने की इच्छा हो रही हो, तो सोडा की बजाए हल्की चीनी वाली चाय या कॉफी लेना ज्यादा बेहतर विकल्प है।
डिब्बाबंद उत्पाद
डिब्बाबंद या केन्ड खाने में नमक या चीनी की मात्रा अधिक होती है साथ ही जिस डिब्बों के इनको बंद किया जाता है वो भी खतरनाक होते है। इन डिब्बों की अंदरुनी परत से खतरनाक केमिकल बीपीए होता है। ये एक तरह का पॉली कार्बोनेट है जो टिन के डिब्बों या प्लास्टिक में पाया जाता है। इस केमिकल से हार्मोन्स बुरी तरह से प्रभावित होते हैं और यही कैंसर का मुख्य कारण बनता है। अगर डिब्बों में टमाटर हों तो ये और भी ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं क्योंकि बीपीए अम्लीय चीजों से तुरंत प्रतिक्रिया करता है।
पेट के कैंसर से कैसे करें बचाव
डॉक्टर सलाह देते हैं कि कोलन कैंसर के अधिक जोखिम वाले लोगों को 45 वर्ष की आयु के आसपास कोलन कैंसर स्क्रीनिंग करानी चाहिए। खासकर पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को जल्द ही स्क्रीनिंग पर विचार करना चाहिए। इसके अलावा हेल्दी डाइट लें, शराब से बचें, एक्सरसाइज करें, वजन कंट्रोल करें और स्मोकिंग से बचें।