सैफ अली खान को फिल्म इंडस्ट्री में 30 साल से भी ज्यादा हो चुके हैं। रोमांटिक हीरो के रूप में करिअर शुरू करने के बाद सैफ हर प्रकार की भूमिका में खुद को आजमा चुके हैं। सैफ की जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। सैफ इन दिनों अपनी आगामी थ्रिलर फिल्म ‘ज्वेल थीफ : द हाइस्ट बिगिंस’ 25 अप्रैल को सिनेमाघरों के बजाय ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म में जयदीप अहलावत, कुणाल कपूर और निकिता दत्ता की भी अहम भूमिकाएं हैं। अब कुणाल (47) ने एक इंटरव्यू में मजेदार अंदाज में सैफ के साथ काम करने के अनुभव को शेयर किया।
कुणाल ने फिल्मीज्ञान के साथ बातचीत में कहा कि सैफ के साथ काम करना मुश्किल था, क्योंकि वे समय पर सेट पर नहीं पहुंचते थे और अपनी लाइनें भूल जाते थे। वे बहुत परेशान करने वाले थे। समय पर नहीं आते, लाइनें याद नहीं होतीं, हमें इंतजार करना पड़ता था। कुणाल के इतना कहते ही वहां मौजूद फिल्म के दूसरे कलाकार हंस पड़े और मजाक में कहा कि सैफ सोशल मीडिया पर नहीं हैं, तो शायद यह बात अखबार में छपने पर ही उन्हें पता चले।
कुणाल ने यह भी कहा कि फिल्म में मैं सैफ और जयदीप का पीछा करने वाले किरदार में हूं, जिसके चलते मैं सेट पर अकेले शूटिंग करता था, जबकि बाकी लोग एक साथ मस्ती करते थे। बता दें ‘ज्वेल थीफ' एक हाइस्ट ड्रामा है, जिसमें सैफ और जयदीप अफ्रीकन रेड सन डायमंड चुराने की साजिश रचते हैं। इसके डायरेक्टर कूकी गुलाटी और रॉबी ग्रेवाल हैं। यह सैफ की इस साल उन पर हुए जानलेवा हमले के बाद पहली फिल्म है।
दूसरी ओर, कुणाल की बात करें तो वे भी दो दशक से ज्यादा समय से बॉलीवुड में एक्टिव हैं। उन्होंने ‘रंग दे बसंती’ जैसी सुपरहिट फिल्म में भी काम किया है। कुणाल की पर्सनल लाइफ पर नजर डालें तो उनकी शादी अमिताभ बच्चन के छोटे भाई अजिताभ बच्चन की बेटी नैना के साथ हुई है।
‘छोरी 2’ के प्रमोशन में बिजी एक्ट्रेस नुसरत भरुचा ने बताया खुद का दर्द
एक्ट्रेस नुसरत भरुचा इन दिनों अपनी फिल्म ‘छोरी 2’ को लेकर सुर्खियां बटोर रही हैं। वह ‘प्यार का पंचनामा’, ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’, ‘ड्रीम गर्ल’ जैसी चर्चित फिल्मों का हिस्सा रह चुकी हैं। नुसरत ने अब एक इंटरव्यू में ग्लैमर के पीछे की कठोर सच्चाई के बारे में खुलकर बात की है। नुसरत ने शुभांकर मिश्रा को दिए एक इंटरव्यू में कहा फिल्म इंडस्ट्री में स्टार किड्स को निश्चित रूप से एक फायदा है। वे इंडस्ट्री को जानते हैं, वे लोगों को जानते हैं।
और अगर वे नहीं जानते, तो उनके माता-पिता जानते हैं। तो क्या होता है, वे उन जगहों पर पहुंच जाते हैं जहां मैं नहीं पहुंच सकती। वे ऐसे दरवाज़े खटखटा सकते हैं जिनका पता मुझे शायद पता भी न हो। अगर मैं किसी निर्देशक से मिलना चाहती हूं तो मुझे उसका नंबर कौन देगा? मैं निर्देशक का पता कहां से पूछूं? यह एक बहुत ही व्यावहारिक समस्या है - लेकिन यह एक वास्तविक समस्या है। ‘प्यार का पंचनामा’ के बाद मुझे नहीं पता था कि किसे कॉल करना है, कहां जाना है।
उस समय मैंने कबीर खान को काम के लिए मैसेज किया और उन्होंने जवाब दिया और मिलने के लिए रेडी हो गए। इससे मेरा महीना बन गया। निर्देशक का नंबर पाना या मीटिंग सेट करना बहुत मुश्किल है। यह उन लोगों के लिए बहुत कठिन रास्ता है जो इंडस्ट्री से नहीं हैं। वैसे मुझे सेलेब्स को 'नेपो किड्स' कहना पसंद नहीं है क्योंकि उनके अपने संघर्ष हैं। लेकिन हां, उन्हें वो रास्ते मिल जाते हैं जो हमें नहीं मिलते।