Nirjala Ekadashi 2022: जानें निर्जला एकादशी का क्यों है इतना महत्व, महाभारत काल से जुड़ी है कथा

By: Priyanka Maheshwari Fri, 10 June 2022 09:22:35

Nirjala Ekadashi 2022: जानें निर्जला एकादशी का क्यों है इतना महत्व, महाभारत काल से जुड़ी है कथा

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार निर्जला एकादशी का व्रत शुक्रवार 10 जून 2022 को रखा जाएगा। वैसे तो हर माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एकादशी तिथि पड़ती है। साल में कुल 24 और अधिकमास में कुल 26 एकादशी होती है। लेकिन निर्जला एकादशी का खास महत्व होता है। निर्जला एकादशी पर रखे गए व्रत को सबसे कठिन व्रत माना जाता है। निर्जला एकादशी पर भक्त बिना जल पिए भगवान विष्णु की आराधना करते हैं और पूरा दिन व्रत रखते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, वैसे तो हर माह में पड़ने वाली एकादशी का अपना अलग-अलग महत्व होता है। लेकिन मात्र निर्जला एकादशी व्रत को करने से सभी एकादशी व्रतों के फलों की प्राप्ति होती है।

महाभारत से जुड़ा है निर्जला एकादशी का संबंध

निर्जला एकादशी की व्रत कथा महाभारत काल से जुड़ी है। कुंती पुत्र महाबली भीम को महर्षि वेदव्यास जी ने इस व्रत की महत्ता के बारे में बताया था। वेदव्यास जी के कहने पर ही भीम ने भी निर्जला एकादशी का व्रत किया। इसलिए निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

निर्जला एकादशी व्रत पौराणिक कथा

निर्जला एकादशी की व्रत कथा के अनुसार, एक बार भीम ने महर्षि वेदव्यास जी से कहा कि उनके परिवार में माता कुंती, सभी भाई और पत्नी एकादशी का व्रत रखते हैं। लेकिन मुझे अत्यंत भूख लगती है जोकि भोजन करने के बाद ही शांत होती है। इसलिए व्रत के दौरान भूखा नहीं रहा जाता। भीम ने महर्षि वेदव्यास से कहा आप किसी ऐसे व्रत के बारे में बताएं जिससे मुझे भूखा ना रहना पड़े और व्रत के फल की प्राप्ति भी हो। तब वेदव्यास जी ने भीम को निर्जला एकादशी व्रत के बारे में बताया।

महर्षि वेदव्यास जी ने भीम से कहा यदि आप हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी को भूखा नहीं रह सकते, तो आप ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली निर्जला एकादशी का व्रत जरूर करें। इस व्रत के दौरान आपको अन्न और जल दोनों का त्याग करना होगा। सिर्फ आमचन और कुल्ला के लिए आप मुंह में जल ले सकते हैं।

महर्षि वेदव्यास जी ने भीम से कहा कि मात्र निर्जला एकादशी का व्रत करने से आपको सालभर पड़ने वाली सभी एकादशी व्रतों के पुण्यफल की प्राप्ति होगी। वेदव्यास जी की बात सुनकर भीम ने विधि-विधान और निष्ठा से निर्जला एकादशी का व्रत रखा।

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