आखिर क्यों सूरज के उगने से पहले ही दे दी जाती है फांसी की सजा, जानें इसके पीछे का राज

By: Ankur Tue, 17 Sept 2019 12:39:19

आखिर क्यों सूरज के उगने से पहले ही दे दी जाती है फांसी की सजा, जानें इसके पीछे का राज

अक्सर आपने फिल्मों में देखा होगा कि जिस भी व्यक्ति को फांसी की सजह सुनाई जाती हैं उसे यह सुबह सूरज उगने से पहले ही दे डी जाती हैं. लेकिन ऐसा क्यों होता हैं कि जेल प्रशासन सूरज के उगने से पहले ही अपराधी को फांसी लगाकर मौत दे दी जाती हैं. तो आइये आज हम बताते हैं आपको इस गहरे राज का रहस्य जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे.

death penalty,sun rise,weird story ,फांसी. अनोखा मामला

फांसी से पहले जेल प्रशासन द्वारा अपराधी से उसकी आखिरी ख्वाहिश पूछी जाती है। हालांकि कैदी की ख्वाहिश जेल मैन्युअल के तहत हो, तभी पूरी की जाती है। फांसी के समय जेल अधीक्षक, कार्यकारी मजिस्ट्रेट और जल्लाद की मौजूदगी जरुरी होती है। इनमें किसी एक के भी ना होने पर फांसी नही दी जा सकती। फांसी देने से पहले जल्लाद अपराधी के कान में कहता हैं कि मुझे माफ कर दिया जाए, हिंदू भाईयों को राम-राम, मुसलमान भाइयों को सलाम। हम क्या कर सकते हैं हम तो हैं हुक्म के गुलाम। फांसी देने के बाद 10 मिनट तक अपराधी को लटके रहने दिया जाता है। इसके बाद डॉक्टरों की एक टीम ये चेक करती है कि उसकी मौत हुई या नहीं, मौत की पुष्टि होने के बाद ही अपराधी को नीचे उतारा जाता है।

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फांसी से पहले जेल प्रशासन द्वारा अपराधी से उसकी आखिरी ख्वाहिश पूछी जाती है। हालांकि कैदी की ख्वाहिश जेल मैन्युअल के तहत हो, तभी पूरी की जाती है। फांसी के समय जेल अधीक्षक, कार्यकारी मजिस्ट्रेट और जल्लाद की मौजूदगी जरुरी होती है। इनमें किसी एक के भी ना होने पर फांसी नही दी जा सकती। फांसी देने से पहले जल्लाद अपराधी के कान में कहता हैं कि मुझे माफ कर दिया जाए, हिंदू भाईयों को राम-राम, मुसलमान भाइयों को सलाम। हम क्या कर सकते हैं हम तो हैं हुक्म के गुलाम। फांसी देने के बाद 10 मिनट तक अपराधी को लटके रहने दिया जाता है। इसके बाद डॉक्टरों की एक टीम ये चेक करती है कि उसकी मौत हुई या नहीं, मौत की पुष्टि होने के बाद ही अपराधी को नीचे उतारा जाता है।

फांसी देने का समय सुबह इसलिए तय किया जाता है क्योंकि जेल नियमावली के तहत जेल के सभी कार्य सूर्योदय के बाद ही किए जाते हैं और फांसी के कारण जेल के बाकी कार्य प्रभावित न हों, इसलिए सुबह-सुबह कैदी को फांसी दे दी जाती है। इसकी एक वजह ये भी है कि फांसी से पहले और बाद में जेल अधिकारियों को बहुत सारी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, जैसे मेडिकल टेस्ट, रजिस्टर में एंट्री, कई जगहों पर नोट्स भेजना इत्यादि। इसके बाद ही शव को परिवार वालों को सौंपा जाता है।

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