तेजी से पिघल रहा कर्नाटक से भी बड़ा ग्लेशियर, 9 करोड़ आबादी पर आएगी आफत, बिगड़ जाएगी कई देशों की आर्थिक स्थिति
By: Priyanka Maheshwari Wed, 29 Jan 2020 3:52:50
कर्नाटक के क्षेत्रफल 191,791 वर्ग किलोमीटर से थोड़ा बड़ा और गुजरात के क्षेत्रफल 196,024 वर्ग किलोमीटर से थोड़ा छोटा ग्लेशियर बेहद तेजी से पिघल रहा है। इस ग्लेशियर का नाम है थ्वायटेस (Thwaites)। यह अंटार्कटिका के पश्चिमी इलाके में स्थित है। इसे लोग डूम्स-डे ग्लेशियर भी कहते हैं। पिछले 30 सालों में इसके पिघलने की दर दोगुनी हो गई है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो पूरी दुनिया के सभी समुद्रों का जलस्तर अगले 50 सालों में 2 फीट और 70 सालों में करीब 5 फीट तक बढ़ जाएगा। इतना ही नहीं यह समुद्र के अंदर कई किलोमीटर की गहराई तक डूबा हुआ है। थ्वायटेस (Thwaites) ग्लेशियर समुद्र के अंदर चौड़ाई 468 किलोमीटर है। इस ग्लेशियर से लगातार बड़े-बड़े आइसबर्ग टूट रहे हैं।
यूके में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर के प्रोफेसर अली ग्राहम ने बताया कि हाल ही में इस ग्लेशियर में छेद किया गया। इस छेद के जरिए एक रोबोट को इस ग्लेशियर के अंदर भेजा गया। तब यह पता चला कि समुद्र के अंदर से यह ग्लेशियर बहुत तेजी से टूट रहा है। इसके अंदर ग्रेट ब्रिटेन के आकार का छेद हो चुका है। अगर यह ग्लेशियर टूटा तो दुनियाभर के समुद्रों का जलस्तर 2 से 5 फीट बढ़ जाएगा। इसका असर पूरी दुनिया के तटीय इलाकों पर पड़ेगा। मालदीव जैसे कई द्विपीय देश पानी में समा जाएंगे। अमेरिका का शहर बोस्टन तो समुद्री जलस्तर बढ़ने पर आने वाली आपदा की तैयारी में अभी से जुट गया है।
बोस्टन अपने तटीय इलाकों को करीब 11 फीट ऊंचा कर रहा है। ताकि ग्लेशियर टूटने से अगर समुद्री जलस्तर बढ़े तो उसके लोगों और शहर को नुकसान न हो। अगर थ्वायटेस (Thwaites) ग्लेशियर साल 2100 तक पूरा पिघल गया तो 12 विकासशील देशों की करीब 9 करोड़ आबादी को रहने के लिए नई जगह तलाशनी होगी। इतने बड़े पैमाने पर लोगों का विस्थापन दुनियाभर के देश बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। कई देशों की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाएगी।