सवर्ण आरक्षण: लोकसभा के बाद आज राज्‍यसभा में बिल पेश करेगी मोदी सरकार, विपक्ष दिखाएगा कड़ा रुख

By: Priyanka Maheshwari Wed, 09 Jan 2019 08:20:36

सवर्ण आरक्षण: लोकसभा के बाद आज राज्‍यसभा में बिल पेश करेगी मोदी सरकार, विपक्ष दिखाएगा कड़ा रुख

आर्थिक रूप से पिछड़े तबके को सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने का फ़ैसला करके लोकसभा चुनाव 2019 से पहले मोदी सरकार (Modi Govt) ने विपक्ष को एक तरह से कमजोर कर दिया है। मंगलवार को लोकसभा में पेश किए गए आरक्षण विधेयक का लगभग सभी पार्टियों ने समर्थन किया और उसे पारित भी करा लिया। बिल के समर्थन में जहां 323 वोट पड़े वहीं, विरोध में महज 3 वोट। लेकिन राज्यसभा में इस बिल को लेकर सरकार की अग्निपरीक्षा होगी।

दरहसल, राज्यसभा में आज यानी बुधवार को इस बिल को पेश किया जाएगा। हालांकि, लोकसभा में जिस तरह से विपक्षी पार्टियों ने अपने तेवर दिखाए, उससे नहीं लगता कि सरकार को यहां से पास कराने में खासा परेशानी होगी, मगर कांग्रेस की जेपीसी की मांग इस बिल को लटका सकती है।

सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि विपक्षी पार्टियों ने अपने सभी सदस्यों से बुधवार को राज्यसभा में मौजूद रहने के लिए कहा है। राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। राज्यसभा में भाजपा के पास सबसे अधिक 73 सदस्य हैं, जबकि मुख्य विपक्षी कांग्रेस के 50 सदस्य हैं। राज्यसभा में अभी सदस्यों की कुल संख्या 244 है।

सूत्रों ने यह भी बताया कि विपक्षी पार्टियों के नेता राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन के लिए बढ़ाने के सरकार के ‘‘एकतरफा’’ कदम का भी विरोध कर रहे हैं और वे सदन में विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि कांग्रेस इस विधेयक का समर्थन कर सकती है, जबकि विपक्षी पार्टियां इसे पारित करने में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।

भाजपा का चुनावी स्टंट

आर्थिक आधार पर आरक्षण विधेयक को लेकर लोकसभा में मंगलवार को करीब 5 घंटे तक चली बहस में लगभग सभी दलों ने इसका पक्ष लिया, लेकिन किसी ने भी इसका खुलकर विरोध नहीं किया। हालांकि कई सांसदों ने इस विधेयक को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल भी खड़े किए। कांग्रेस ने कहा कि वह आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए लाए गए विधेयक के समर्थन में है, लेकिन उसे सरकार की मंशा पर शक है। पार्टी ने कहा कि सरकार का यह कदम महज एक 'चुनावी जुमला' है और इसका मकसद आगामी चुनावों में फायदा हासिल करना है। वहीं, बसपा, सपा, तेदेपा और द्रमुक सहित विभिन्न पार्टियों ने इसे भाजपा का चुनावी स्टंट करार दिया।

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