प्रणब मुखर्जी ने RSS को सच का आईना दिखाया है : कांग्रेस

By: Priyanka Maheshwari Fri, 08 June 2018 09:38:40

प्रणब मुखर्जी ने RSS को सच का आईना दिखाया है : कांग्रेस

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आरएसएस मुख्यालय में संबोधन के बाद कांग्रेस नेताओं के तेवर बदले हुए नजर आए। कांग्रेस ने संघ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। पार्टी ने कहा कि मुखर्जी ने संघ को 'सच का आईना' दिखाया एवं नरेंद्र मोदी सरकार को 'राजधर्म' की याद दिलाई।

आरएसएस को सच्चाई का आईना दिखाया है

- कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला का कहना है कि पूर्व राष्ट्रपति ने संघ के मुख्यालय जाकर उन्हें सच्चाई का आईना दिखाया है। देश की विविधता और बहुलता में विश्वास करने वाले चिंता व्यक्त कर रहे थे। लेकिन मुखर्जी ने आरएसएस को सच का आईना दिखाया।
- उन्होंने कहा, ''मुखर्जी ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में आरएसएस को सच का आईना दिखाया है। उनको बहुलवाद, सहिष्णुता, धर्मनिरपेक्षता और समग्रता के बारे में पाठ पढ़ाया है।''
- उन्होंने कहा, ''मुखर्जी ने वर्तमान मोदी सरकार को 'राजधर्म' की याद दिलाई। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार हमारी विविधता, गैर-हिंसा, बहुसंस्कृतिवाद और विचारों को आत्मसात करे। उन्होंने विशेष रूप से प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि लोगों की खुशी में ही राजा का सुख है, उनका कल्याण ही उसका कल्याण है।''
- मुखर्जी द्वारा अतिथि पुस्तिका में आरएसएस के संस्थापक हेडगेवार को 'भारत मां का महान सपूत' बताने के बारे में सुरजेवाला ने कहा कि व्यक्ति अगर कोई औपचारिकता के लिए कहता है तो उसे ज्यादा महत्व नहीं दिया जाना चाहिये, बल्कि जो बातें उन्होंने भाषण में कही हैं, वो अहम हैं।
- सुरजेवाला ने स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कुछ वाकयों का जिक्र करते हुए दावा किया कि आरएसएस का भारत की आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं है।

इससे पहले ''राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशप्रेम के बारे में आरएसएस मुख्यालय में अपने विचार साझा करते हुए पूर्व राष्ट्रपति एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रह चुके प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत की आत्मा ''बहुलतावाद एवं सहिष्णुता में बसती है।

- मुखर्जी ने आरएसएस कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत में हम अपनी ताकत सहिष्णुता से प्राप्त करते हैं और बहुलवाद का सम्मान करते हैं। हम अपनी विविधता का उत्सव मनाते हैं।

- प्रणब मुखर्जी ने कहा, 'भारत एक पुरानी सभ्‍यता और समाज है और विविधता में एकता हमारी ताकत है। हमारी राष्‍ट्रीय पहचान कई चीजों से बनी।' उन्‍होंने कहा कि राष्‍ट्रवाद किसी धर्म या भाषा से नहीं बंधा।

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