
नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विजया दशमी के मौके पर मंगलवार को शस्त्र पूजा की। बता दे, विजयादशमी के दिन लोग शस्त्र-की पूजा भी करते हैं। भारत में शस्त्र पूजा की परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है। महाराणा प्रताप की इस धरती पर राजपूत राजा दुश्मनों को रणभूमि में छक्के छुड़ाने से पहले अस्त्र-शस्त्र की पूजा करते रहे हैं।
विजया दशमी के मौके पर भागवत ने कहा कि मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाकर यह साबित कर दिया है कि वह कठोर निर्णय लेने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही लिंचिंग को लेकर उन्होंने कहा कि यह पश्चिमी देशों से हमारे यहां आया है और हम पर थोपा जा रहा है। इसे लेकर भारत को दुनिया में बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। संघ का नाम लिंचिंग की घटनाओं से जोड़ा गया, जबकि संघ के स्वयंसेवकों का ऐसी घटनाओं से कोई संबंध नहीं होता।

भागवत ने सवयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का चुनाव दुनिया में सबके लिए रुचि का विषय है कि कैसे इतने बड़े चुनाव संपन्न कराए जा सकते हैं। 2014 में जो परिवर्तन आया था, वो क्या पिछली सरकार के लिए निगेटिव फॉलआउट था या फिर लोग खुद ही बदलाव चाहते थे। उन्होंने कहा कि इस देश की जनता ने प्रत्यक्ष चुनाव के निर्णय लिए, इसके चलते वह परिपक्व हुई है। जनता ने 2014 की अपेक्षा इस बार सरकार को ज्यादा बहुमत दिया। यह भी साबित हुआ है कि सरकार अनुच्छेद 370 हटाने जैसा कठोर निर्णय लेने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने यह फैसला लोकसभा और राज्यसभा में आमचर्चा के माध्यम से किया। सभी दलों ने इसे जो समर्थन दिया, प्रधानमंत्री का यह कार्य अभिनंदनीय है।
'हमारे सामने कुछ संकट हैं जिनका उपाय हमें करना है'
भागवत ने कहा कि मार्ग के रोड़े, बाधाएं और हमें रोकने की इच्छा रखने वाली शक्तियों के कारनामे अभी समाप्त नहीं हुए हैं। हमारे सामने कुछ संकट हैं जिनका उपाय हमें करना है। कुछ प्रश्न है जिनके उत्तर हमें देने हैं और कुछ समस्याएं हैं जिनका निदान कर हमें उन्हें सुलझाना है। सौभाग्य से हमारे देश के सुरक्षा सामर्थ्य की स्थिति, हमारे सेना की तैयारी, हमारे शासन की सुरक्षा नीति और हमारे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुशलता की स्थिति इस प्रकार की बनी है कि इस मामले में हम लोग सजग और आश्वस्त हैं।

कुछ सालों में भारत की सोच की दिशा में परिवर्तन आया है- भागवत
भागवत ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत की सोच की दिशा में एक परिवर्तन आया है। उसको न चाहने वाले व्यक्ति दुनिया में भी हैं और भारत में भी। भारत को बढ़ता हुआ देखना जिनके स्वार्थों के लिए भय पैदा करता है, ऐसी शक्तियां भी भारत को दृढ़ता व शक्ति से संपन्न होने नहीं देना चाहती। समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में सद्भावना, संवाद और सहयोग बढ़ाने की कोशिश करते रहनी चाहिए। समाज के सभी वर्गों का सद्भाव, समरसता व सहयोग और कानून संविधान की मर्यादा में ही अपने मतों की अभिव्यक्ति यह आज की स्थिति में नितांत आवश्यक है।
भागवत ने कहा कि हमारी स्थल सीमा और जल सीमाओं पर सुरक्षा सतर्कता पहले से बेहतर है। केवल स्थल सीमा पर रक्षक व चौकियों की संख्या व जल सीमा पर (द्वीपों वाले टापुओं की) निगरानी अधिक बढ़ानी पड़ेगी। देश के अंदर भी उग्रवादी हिंसा में कमी आई है। उग्रवादियों के आत्मसमर्पण की संख्या भी बढ़ी है।
इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर एचसीएल के संस्थापक शिव नाडर, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मौजूद रहे।














