गरीबों को हर महीने सैलेरी की गारंटी से सरकार पर बढ़ेगा बोझ, होंगे 7 लाख करोड़ रुपये खर्च

By: Priyanka Maheshwari Thu, 31 Jan 2019 10:45:24

गरीबों को हर महीने सैलेरी की गारंटी से सरकार पर बढ़ेगा बोझ, होंगे 7 लाख करोड़ रुपये खर्च

सरकार के ऊपर गरीबों को हर महीने सैलेरी की गारंटी का ऐलान करने का दबाव बढ़ गया है। सूत्रों के मुताबिक 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में सरकार इसका ऐलान भी कर सकती है। खास तौर पर राहुल गांधी के ऐलान के बाद केंद्र सरकार पर आखिर समय में इसे बजट में शामिल करने का दबाव बढ़ गया है। सरकार के शुरुआती आंकलन के अनुसार देश के 25 प्रतिशत गरीब घरों के एक सदस्य को न्यूनतम आय गारंटी प्रदान करने के लिए लगभग 7 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा। यह गणना 321 रुपये प्रतिदिन न्यूनतम वेतन भुगतान पर आधारित है, यानी हर महीने 9,630 रुपये, जिसे कि अकुशल कृषि श्रमिकों के लिए केंद्र ने अनिवार्य किया हुआ है। यदि 18-30 प्रतिशत घरों को लक्षित किया जाए तो यह लागत 5 करोड़ रुपये से ऊपर होगी। दो साल पहले आए आर्थिक सर्वेक्षण में सार्वभौमिक बुनियादी आय के अंतर्गत 75 प्रतिशत घरों को सालाना 7,620 रुपये देने का सुझाव दिया गया था। जिससे कि हर कोई गरीबी रेखा से ऊपर जीवनयापन कर सके। मगर इसे लागू नहीं किया जा सका क्योंकि इसका खर्च ज्यादा आ रहा था और सरकार गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को मिलने वाली सब्सिडी नहीं हटा सकती है।

इस सर्वें में अनुमान लगाया गया था कि जीडीपी 4.9 प्रतिशत रहेगी। इसमें सुझाव दिया गया था कि यदि 25 प्रतिशत घरों के पांच सदस्यों को न्यूनतम आय की गारंटी दी जाए तो इसकी लागत सालाना 2.4-2.5 लाख करोड़ रुपये आएगी। इन घरों के पांच सदस्यों को प्रतिमाह 3,180 रुपये देने से सरकार का खर्च 1.75 करोड़ रुपये आएगा।

इस योजना को लागू करने को लेकर कई तरह की चिंताए थीं। खासतौर से ऐसे घरों की पहचान करना। हालांकि पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम का कहना था कि इसे लागू किया जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया था कि जिन लोगों के पास एसी, कार और एक निश्चित बैंक बैलेंस हैं उन्हें इस योजना से अलग किया जाए। इसमें इस बात की वकालत की गई थी कि लाभार्थियों की सूची को सार्वजनिक किया जाए।

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