मक्का मस्जिद ब्लास्ट केसः असीमानंद समेत सभी आरोपी बरी, जानिए पूरा मामला

By: Priyanka Maheshwari Mon, 16 Apr 2018 1:34:26

मक्का मस्जिद ब्लास्ट केसः असीमानंद समेत सभी आरोपी बरी, जानिए पूरा मामला

हैदराबाद के मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए इस मामले से जुड़े सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। आपको बता दें कि इस मामले में असीमानंद मुख्य आरोपी थे। इस मामले में एनआईए ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले को पढ़ेंगे और उसके बाद आगे की कार्रवाई तय करेंगे। बता दें कि 2007 को मक्का मस्जिद में हुए ब्लास्ट में 9 लोगों की मौत गई थी और 58 लोग घायल हुए थे। इस घटना के 10 आरोपी थे जिनमें से आठ के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिसमें स्वामी असीमानंद का नाम प्रमुख था।

जिन 8 लोगों के खिलाफ चार्जशीट बनाई गई थी उसमें से स्वामी असीमानंद और भारत मोहनलाल रत्नेश्वर उर्फ भरत भाई जमानत पर बाहर हैं और तीन लोग जेल में बंद हैं। एक आरोपी सुनील जोशी की जांच के दौरान हत्या कर दी गई थी।

दो और आरोपी संदीप वी डांगे और रामचंद्र कलसंग्रा के बारे में मीडिया रिपोर्टस में दावा किया गया है कि उनकी भी हत्या कर दी गई है। ब्लास्ट मामले में सीबीआई ने सबसे पहले 2010 में असीमानंद को गिरफ्तार किया था लेकिन 2017 में उन्हें सशर्त जमानत मिल गई थी। उन्हें 2014 के समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में भी जमानत मिल गई थी।

गृह मंत्रालय के पूर्व सचिव आरवीएस मणि ने कहा कि उन्हें पहले ही लग रहा था कि ऐसा होगा। सारे सबूतों को गढ़ा गया था, इस मामले में कोई हिंदू आतंकवाद नहीं था। मणि ने कहा कि जिन लोगों ने हमला किया उन्हें सुरक्षित कर लिया गया और निर्दोषों को फंसाया गया। अब उन लोगों की क्षतिपूर्ति कैसे होगी जिनको पीड़ित और बदनाम किया गया था।

आपको बता दें कि जांच के दौरान असीमानंद ने कई बार अपने बयान बदले थे। उन्होंने पहले आरोपों को स्वीकार किया था और बाद में साजिश रचने की भूमिका में शामिल होने से इनकार कर दिया था। गौरतलब है कि 18 मई 2007 को दोपहर 1 बजकर 27 मिनट पर प्रार्थना के दौरान धमाका हुआ था जिसमें 5 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी और 4 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे, बाद में ये चारों लोग भी जिंदगी से जंग हार गये थे।

मस्जिद में धमाके के समय वहां 10 हजार लोग मौजूद थे। वहां दो जिंदा बम भी बरामद हुए थे जिसे हैदराबाद पुलिस ने निष्क्रिय कर दिया था। बाद में इस मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था लेकिन फिर यह मामला NIA के पास चला गया। एजेंसी ने 226 अभियोजन पक्ष के गवाहों को सूचीबद्ध किया था जिसमें से 64 बदल गए थे।

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