रेप की घटनाएं देश में कोई नई नहीं है लेकिन अब कुछ ज्यादा ही पब्लिसिटी मिल रही है: भाजपा सांसद हेमा मालिनी
By: Priyanka Maheshwari Sat, 21 Apr 2018 1:57:53
देश में आए दिन घटित महिलाओं और बच्चों के साथ आपाराधिक घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इसमें गैंगरेप जैसे मामले भी शामिल हैं। बच्चो के साथ होती इन घटनाओ पर चिंता जताते हुई उत्तर प्रदेश के मथुरा से भाजपा सांसद हेमा मालिनी का कहना है कि रेप की घटनाएं देश में कोई नई नहीं है लेकिन अब इस तरह के मामलों को कुछ ज्यादा ही प्रचारित किया जा रहा है।
अभिनय के क्षेत्र से राजनीति में कदम रखने वाली हेमा ने शनिवार को कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले ऐसे ही हैं, जैसे पहले होते थे लेकिन तब ये मीडिया में नहीं आ पाते थे और तब शायद लोगों को पता नहीं चल पाता था। हेमा मालिनी ने कहा कि अब इस तरह के मामलों को पब्लिसिटी ज्यादा मिल रही है। हेमा मालिनी ने कहा कि उनकी सरकार ऐसे मामलों पर गंभीर है और इस तरह की घटनाएं रुके इसके लिए कठोर कदम उठाएं जाएंगे। हेमा मालिनी ने कहा कि रेप जैसी घटनाओं को रोका जाना चाहिए और इस तरह के मामलों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं जब इंटरनेशनल मीडिया में सुर्खियां बनती हैं तो इससे देश की छवि को भी नुकसान होता है।
हेमा मालिनी 12 साल से कम उम्र की बच्चियों का रेप करने वाले अपराधी को फांसी की सजा की भी मांग कर चुकी है। हेमा मालिनी ने हाल ही में कठुआ और उन्नाव गैंगरेप पर गुस्सा व्यक्त करते हुए ट्विटर पर ये बात कही।
महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने भी कुछ दिन पहले मीडिया से कहा था कि ऐसा घिनौना कृत्य करने वाले को फांसी की सजा होनी चाहिए। मेनका ने कहा था कि उन्होंने अपनी टीम से ऐसे प्रस्ताव पर काम करने के लिए कहा जिससे यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) में सुधार हो सके। मेनका की बात से हेमा मालिनी ने भी इत्तेफाक जाहिर किया था।
12 साल तक की बच्चियों से रेप पर फांसी, आज कैबिनेट में अध्यादेश ला सकती है केंद्र सरकार
बारह साल तक की बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को मौत की सजा देने के प्रावधान वाला अध्यादेश आज केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष आ सकता है। उत्तर प्रदेश के उन्नाव और जम्मू कश्मीर के कठुआ में नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर देशभर में गुस्से के माहौल की पृष्ठभूमि में सरकार 'बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम' (पॉक्सो) में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने की योजना बना रही है। सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को भी इस बारे में सूचित किया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष केंद्र सरकार ने कहा कि वह इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। पोक्सो एक्ट में बदलाव करने की कवायद शुरू हो गई है। इस संबंध में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय द्वारा लिखी चिट्ठी पीठ को दी।
प्रस्ताव के अनुसार 12 साल तक बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को भी मौत की सजा सुनाई जा सकती है। पॉक्सो कानून के वर्तमान प्रावधानों के अनुसार इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है। न्यूनतम सजा सात साल की जेल है। उन्नाव और कठुआ की घटनाओं पर अपनी पहली टिप्पणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह कहा था कि किसी अपराधी को छोड़ा नहीं जाएगा और बेटियों को न्याय मिलेगा।
अभी क्या है कानून?
पॉक्सो कानून के आज के प्रावधानों के अनुसार इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है, न्यूनतम सजा सात साल की जेल है। दिसंबर 2012 के निर्भया मामले के बाद जब कानूनों में संशोधन किये गये।
इसमें बलात्कार के बाद महिला की मृत्यु हो जाने या उसके मृतप्राय होने के मामले में एक अध्यादेश के माध्यम से मौत की सजा का प्रावधान शामिल किया गया जो बाद में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम बन गया।
Abhi jyada iska publicity ho raha hai aajkal. Pehle bhi shayad ho raha hoga maloom nahin tha. Lekin iske upar zaroor dhyan diya jaayega. Aisa jo haadsa ho raha hai nahin hona chahiye, isse desh ka bhi naam kharab ho raha hai: BJP MP Hema Malini on crimes against children pic.twitter.com/Y4CdDO5rGq
— ANI UP (@ANINewsUP) April 21, 2018