कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन जारी, 'अन्नदाता' की भूख हड़ताल शुरू

By: Pinki Mon, 14 Dec 2020 09:24:21

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन जारी, 'अन्नदाता' की भूख हड़ताल शुरू

नए कृषि कानूनों के विरोध में आज किसानों के आंदोलन का 19वां दिन है। एक तरफ सरकार कृषि कानूनों में संशोधन को लेकर किसानों को मनाने में लगी है, दूसरी ओर किसान अपनी सभी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। किसान संगठनों के सभी अध्यक्ष सोमवार को एक दिन का भूख हड़ताल पर हैं। वे आज शाम 5 बजे तक भूख हड़ताल पर रहेंगे, साथ ही सभी जिला मुख्यालयों पर धरना देंगे। किसानों ने रविवार को कुंडली बॉर्डर पर मीटिंग कर ये फैसले लिए। किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलन के संबंध में जो भी फैसला कुंडली बॉर्डर से होगा, वही आखिरी माना जाएगा।

भारतीय किसान यूनियन के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लोखवाल ने कहा, 'हम सरकार को नींद से जगाना चाहते हैं। इसलिए यूनाइटेड फार्मर्स फ्रंट के 40 किसान नेता आज सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक भूख हड़ताल पर हैं। इनमें से 25 किसान नेता सिंघु बॉर्डर पर, 10 टिकरी बॉर्डर पर और 5 यूपी बॉर्डर पर अनशन करेंगे।'

सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि नेता अपने-अपने स्थानों पर सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक भूख हड़ताल करेंगे। उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'देशभर के सभी जिला मुख्यालयों में धरने दिये जाएंगे। प्रदर्शन इसी प्रकार चलता रहेगा।' साथ ही किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित सभी नाकों पर अनशन पर बैठेंगे।

किसान नेता संदीप गिड्डे ने बताया कि 19 दिसंबर से प्रस्तावित किसानों की अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल रद्द कर दी गई है। इसके बजाय सोमवार को दिनभर की भूख हड़ताल की जाएगी। वहीं, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, 'अगर सरकार बातचीत का एक और प्रस्ताव रखती है तो हमारी कमेटी उसपर विचार करेगी। हम सभी से प्रदर्शन के दौरान शांति बरकरार रखने की अपील करते हैं।'

केजरीवाल भी उपवास रखेंगे

उधर, किसानों के साथ-साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल भी आज भूख हड़ताल पर बैठेंगे। उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों से भी भूख हड़ताल करने की अपील की है।

उत्तर प्रदेश में बीजेपी का किसान सम्‍मेलन

उधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उत्तर प्रदेश में विभिन्‍न स्‍थानों पर आज से किसान सम्‍मेलन आयोजित करने जा रही है। केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को देखते हुए पार्टी ने यह कदम उठाया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने जारी एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयक को लेकर किसानों में भ्रम फैलाया जा रहा है।

पंजाब के किसान नेताओं को खुद समझाएंगे अमित शाह

किसानों को मनाने और आंदोलन खत्म कराने के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अलग-अलग राज्यों और यूनियनों की जिम्मेदारी दी गई है। ये दोनों सभी से अलग-अलग बात करेंगे। लेकिन, पंजाब के किसान नेताओं की जिम्मेदारी अमित शाह ने अपने पास रखी है।

सरकार के साथ कुछ समूहों का साठगांठ: किसान नेता

वहीं प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह ने देर रात केन्द्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह तथा नरेन्द्र तोमर के साथ बैठक के बाद चिल्ला की ओर जाने वाला नोएडा-दिल्ली लिंक रोड खाली कर दिया है, लेकिन चढूनी ने आरोप लगाया कि उनकी सरकार के साथ साठगांठ थी।

आंदोलन को कमजोर करने का षड़यंत्र

चढूनी ने कहा, 'कुछ समूह प्रदर्शन खत्म कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वे सरकार द्वारा पारित कानूनों के पक्ष में हैं। हम स्पष्ट करते हैं कि वे हमसे नहीं जुड़े हैं। उनकी सरकार के साथ साठगांठ है। उन्होंने हमारे आंदोलन को कमजोर करने का षड़यंत्र रचा। सरकार किसानों के प्रदर्शन को खत्म करने के लिये साजिश रच रही है।'

एक ओर जहां किसान आने वाले दिनों में आंदोलन को तेज करने की चेतावनी दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई केन्द्रीय मंत्री बार-बार आरोप लगा रहे हैं कि माओवादियों, वामपंथियों और राष्ट्र-विरोधी तत्वों ने किसानों के आंदोलन पर कब्जा कर लिया है।

प्रदर्शनकारी किसान संघों के नेताओं इस आरोप को खारिज कर दिया है। आंदोलन का समर्थन कर रहे विपक्षी दलों के नेताओं के बयानों से भी सियासी पारा चढ़ गया है। राकांपा ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री को केन्द्रीय मंत्रियों के दावों पर स्पष्टीकरण देना चाहिये।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रविवार को कहा कि नये कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। भाजपा अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिये इस शब्द का इस्तेमाल करती है।

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