विलक्षण प्रतिभा के धनी कलाकार रहे भूपेन हज़ारिका जिन्‍हें मरणोपरांत दिया जाएगा भारत रत्‍न

By: Pinki Sat, 26 Jan 2019 08:31:55

विलक्षण प्रतिभा के धनी कलाकार रहे भूपेन हज़ारिका जिन्‍हें मरणोपरांत दिया जाएगा भारत रत्‍न

सिनेमा, संगीत और कला के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए मशहूर डॉक्टर भूपेन हज़ारिका (Bhupen Hazarika) को भारत रत्‍न दिया जाएगा। भूपेन हजारिका (Bhupen Hazarika) ऐसे विलक्षण प्रतिभा के धनी कलाकार रहे जो खुद अपना गीत लिखते थे, संगीत देते थे और उसे गाते भी थे। वे न केवल हिंदी बल्कि असमिया और बंगाली भाषाओं के कलाजगत के प्रमुख स्तंभ रहे। हज़ारिका के संगीत सफर की शुरूआत बचपन में ही हो चुकी थी। पद्म और दादा साहेब फालके सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाज़े गए हज़ारिका ने पहला गीत सिर्फ 10 बरस की उम्र में गाया था।

असमिया के मशहूर गीतकार, नाटककार और फिल्मकार अगरवाला की 1939 में रिलीज़ हुई फिल्म इंद्रमालती के लिए हज़ारिका ने दो गाने गाए थे। इन दो गानों के बोल थे — 'काक्षोते कोलोसी लोई' और 'बिस्वो बिजयी नौजवान'। 13 बरस की उम्र में उन्होंने पहला गीत खुद लिखा और खुद कंपोज़ किया। यह गीत था 'अग्निजुगोर फिरिंगोती मोई' जिसे खासी प्रसिद्धि और सराहना भी मिली थी। बचपन से शुरू हुआ संगीत का उनका यह सफर आगे ही बढ़ता चला गया और उनकी ख्याति बनता गया। संगीत के प्रति हज़ारिका की लगन और नैसर्गिक प्रतिभा का एक कारनामा यह भी था कि उन्होंने कई ट्रेंड सेट किए।

असमिया संगीत के वह अग्रदूत माने जाते हैं। इसके साथ ही, बंगाल के संगीत की एक धारा पर भी उनका प्रभाव है। बंगाल के ख्यात कंपोज़र और गायक कबीर सुमन का 'ज्वालामुखी गीत' शैली अस्ल में, हज़ारिका के संगीत से ही प्रभावित रही है। हज़ारिका को उनके एक प्रसिद्ध गीत 'गंगा बहती हो क्यों' के ज़रिये उनके प्रशंसक हमेशा याद करते हैं। अमेरिका में शिक्षा और काम के लिए उनका प्रवास उनके संगीत के लिए भी महत्वपूर्ण बना। इस दौरान हज़ारिका की मुलाकातें नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और संगीत के जानकार पॉल रॉबेसन से हुई थीं। संगीत के विशेषज्ञ मानते हैं कि 'गंगा बहती हो क्यों' का संगीत हज़ारिका ने रॉबेसन के गीत 'ओ मैन्स रिवर' की थीम और कल्पना के आधार पर ही रचा था।

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अमेरिका से लौटकर हज़ारिका 'इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन' यानी इप्टा से जुड़े थे और वहां भी उनके संगीत योगदान को याद किया जाता रहा। हालांकि इप्टा के साथ उनकी सक्रियता सिर्फ दो सालों की रही लेकिन उनकी शख़्सियत और प्रतिभा यह थी कि 1955 की कॉन्फ्रेंस के लिए उन्हें रिसेप्शन कमेटी का सचिव नियुक्त किया गया था।

आठ दिसंबर 1926 को असम में जन्मे भूपेन हजारिका का पांच नवंबर 2011 को निधन हो गया था। भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों को दीवाना बनाया। उन्होंने कई गीतों को जादुई आवाज दी। ओ गंगा तू बहती क्यों है... और दिल हूम हूम करे जैसे गीतों ने भूपेन हजारिका को प्रशंसकों को दिलों में हमेशा के लिए बसा दिया। असम का निवासी होने के कारण भूपेन असमिया संस्कृति और संगीत से भी जुड़े रहे। भूपेन हजारिका का जन्म असम के तिनसुकिया जिले की सदिया में हुआ था।

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