गुजरात के पूर्व IPS संजीव भट्ट को उम्रकैद, 22 साल पुराने मामले में मिली सजा
By: Pinki Thu, 20 June 2019 1:20:53
गुजरात के पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को 22 साल पुराने मामले में उम्रकैद की सजा मिली है। संजीव को जामनगर सेशन कोर्ट ने ये सजा सुनाई है। दरअसल, 1990 में जामनगर में भारत बंद के दौरान हिंसा हुई थी। भट्ट उस वक्त जामनगर के एएसपी थे। इस दौरान 133 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, जिनमें 25 लोग घायल हुए थे और आठ लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। संजीव को ये सजा एक व्यक्ति की पिटाई और बाद में कस्टडी में उसकी मौत के मामले में हुई है। कोर्ट ने संजीव भट्ट के अलावा एक और को उम्रकैद की सजा हुई है। बाकी पांच आरोपियों की सजा का एलान बाद में होगा। बुधवार (12 जून) को सुप्रीम कोर्ट ने संजीव भट्ट की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। भट्ट ने याचिका में अपने खिलाफ हिरासत में हुई मौत के मामले में गवाहों की नए सिरे से जांच की मांग की थी। संजीव भट्ट गुजरात के बर्खास्त आईपीएस अफसर हैं। भट्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। गुजरात हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ मुकदमे के दौरान कुछ अतिरिक्त गवाहों को गवाही के लिए समन देने के उनके अनुरोध से इनकार कर दिया था। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि निचली अदालत ने 30 साल पुराने हिरासत में हुई मौत के मामले में पहले ही फैसले को 20 जून के लिए सुरक्षित रखा है।
1996 में बनासकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक थे संजीव
बता दें कि संजीव भट्ट 1996 में बनासकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक थे। मामले की जानकारी के मुताबिक, संजीव भट्ट के नेतृत्व में बनासकांठा पुलिस ने वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित को करीब एक किलोग्राम मादक पदार्थ रखने के आरोप में 1996 में गिरफ्तार किया था। उस समय बनासकांठा पुलिस ने दावा किया था कि मादक पदार्थ जिले के पालनपुर में होटल के उस कमरे से मिला था जिसमें राजपुरोहित ठहरे थे।
गुजरात हाईकोर्ट ने सीआईडी को सौंप दी थी इस मामले की जांच
राजस्थान पुलिस की जांच में खुलासा किया गया था कि राजपुरोहित को इस मामले में बनासकांठा पुलिस ने कथित तौर पर झूठे तौर फंसाया था, ताकि उसे इसके लिए बाध्य किया जा सके कि वह राजस्थान के पाली स्थित अपनी विवादित संपत्ति ट्रांसफर करे। यह भी खुलासा किया गया कि राजपुरोहित को बनासकांठा पुलिस ने राजस्थान के पाली जिले में स्थित उनके आवास से कथित रूप से अगवा किया था।
राजस्थान पुलिस की जांच के बाद बनासकांठा के पूर्व पुलिस निरीक्षक आई बी व्यास इस मामले को लेकर 1999 में इस मामले की गहराई से जांच के लिए गुजरात हाई कोर्ट गए। पिछले साल जून में याचिका की सुनवाई के दौरान गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी थी। हाई कोर्ट ने सीआईडी को इस मामले की जांच तीन महीने में पूरा करने को कहा था।
Jamnagar Sessions Court sentences former IPS officer Sanjeev Bhatt to life imprisonment under IPC 302 in 1990 custodial death case. #Gujarat pic.twitter.com/KMkrdDQGlr
— ANI (@ANI) June 20, 2019
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने गुजरात सरकार व अभियोजन पक्ष की दलील को माना कि सभी गवाहों को पेश किया गया था, जिसके बाद फैसला सुरक्षित रखा गया है। अब दोबारा मुकदमे पर सुनवाई करना और कुछ नहीं है, बल्कि देर करने की रणनीति है। भट्ट को बिना किसी मंजूरी के गैरहाजिर रहने व आवंटित सरकारी वाहन के दुरुपयोग को लेकर 2011 में निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद 2015 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।
2002 में गोधरा दंगे के बाद बीजेपी के साथ भट्ट का कई मुद्दों पर टकराव हुआ था। संजीव भट्ट को 2015 में पद से बर्खास्त कर दिया गिया था।