2 अक्टूबर विशेष : बापू के कुछ ऐसे विचार थे 'हिंदी भाषा' के लिए, जानें इससे जुड़ा प्रेरक-प्रसंग
By: Ankur Tue, 02 Oct 2018 12:27:51
बापू अर्थात महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था, आज पूरे देश में गांधी जयंती मनाई जा रही हैं। यह दिन देश की एकता को दिखाते हुए, लोगों द्वारा भूले हुए अहिंसा के मार्ग की याद दिलाता हैं। गांधीजी के विचारों की महत्ता को सभी जानते हैं। गांधीजी के हिंदी भाषा के प्रति विचार थे कि "देशी भाषा का अनादर राष्ट्रीय आत्महत्या हैं।" आज गांधी जयंती के इस ख़ास मौके पर हम आपके लिए गांधी जी से जुदा प्रेरक प्रसंग लेकर आए हैं जो उनका हिंदी के प्रति प्रेम दर्शाता हैं।
4 फरवरी 1916 को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का उद्घाटन हुआ। कार्यक्रम में वायसराय उपस्थित थे। दरभंगा के राजा सर रामेश्वरसिंह भी अध्यक्षता में संपन्न समारोह में मालवीयजी के विशेष आग्रह पर बापू ने भाषण दिया। मंच पर मौजूद एनी बेसेंट को गांधीजी की बातें आपत्तिजनक महसूस हुईं और वे मंच से उतरकर चली गईं।
गांधीजी ने कहा कि इस पवित्र नगरी में महान विद्यापीठ के प्रांगण में अपने देशवासियों से एक विदेशी भाषा में बोलना शर्म की बात है। समारोह में जिन लोगों ने गांधी से पूर्व अंग्रेजी में अपना भाषण पेश किया था, उन लोगों को शायद ही यह अनुभव था कि विदेशी भाषा में बोलना शर्म सरीखा है। इस मौके पर आगे गांधीजी ने कहा कि हमारी भाषा पर हमारा ही प्रतिबंध है और इसलिए यदि आप मुझे यह कहें कि हमारी भाषाओं में उत्तम विचार अभिव्यक्त किए ही नहीं जा सकते, तब तो हमारा संसार से उठ जाना अच्छा है।
गांधी ने वहां मौजूद लोगों से सवाल किया कि क्या कोई स्वप्न में भी यह सोच सकता है कि अंग्रेजी भविष्य में किसी दिन भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है। श्रोताओं ने कहा- नहीं, नहीं। यह उत्तर सुनकर गांधीजी ने पूछा, फिर राष्ट्र के पैरों में यह बेड़ी क्यों? हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है।