थार मरुस्थल के बीचों बीच स्थित स्वर्णनगरी जैसलमेर, देती हैं इतिहास की भव्य छवि का नजारा
By: Anuj Mon, 18 Nov 2019 11:47:10
राजस्थान के पश्चिम में थार मरूस्थल के बीचों बीच जैसलमेर को स्वर्णनगरी के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन दुर्ग,महल, हवेलियों की शिल्पकला,सुंदर स्थापत्य कला से सजे संवरे मंदिर व अन्य भवन देखनें योग्य हैं। यहां की संस्कृति को नजदीक से जानना हो तो यहां के तीन दिवसीय मरू महोत्सव में शामिल हो सकते हैं।यहां के किले को सोनार के किले के नाम से जाना जाता है जो 250 फुट ऊंचे त्रिकूट पहाड पर स्थित है। जैसलमेर में हर बीस पच्चीस किलोमीटर पर इतिहास के मूक गवाह छोटे छोटे किले देखे जा सकते हैं। आमतौर पर दुर्ग निर्माण में सुंदरता के स्थान पर मजबूती तथा सुरक्षा को ध्यान में रखा जाता था लेकिन ये दुर्ग इसके अपवाद कहे जा सकते हैं जहां एक ही मुख्यद्वार तथा चार या इससे अधिक बुर्ज बनाये जाते थे
नथमल की हवेली जो यहां के दीवान द्वारा बनवाई गयी है के पत्थरों पर बारीक नक्काशी देखने लायक है।
सालिम सिंह की हवेली को 1825 में बनवाया गया था जिसके ऊपरी भाग में पत्थरों पर की गयी नक्काशी,जालियां,झरोखे व कंगूरे शिलेपकला के बेजोड नमूनें हैं।
नगर के पूर्वी छोर पर सन 1340में महारावल ने एक सरोवर का निर्माण कराया था। यह जैसलमेर वासियों का प्रमुख जल स्रोत है। जलाशय के प्रवेशद्वार के रूप में बनी टीला की भव्य पोल तथा इसके किनारे पर बनें भव्य मंदिर व सरोवर के बीच बनें बंगले और जलमंडपों की शोभा अलग ही है। यहां आप बोटिंग का मजा भी ले सकते हैं।
आकल वुड फोसिल पार्क
जैसलमेर से 17 किलोमीटर दूर काष्ठ जीवाश्म उद्यान में हजारों सालों पुराने जीवाश्म देखे जा सकते हैं।
सम के धोरे
जैसलमेर से 42 किलोमीटर दूर रेगिस्तान में आप रात को खुले आसमान के नीचे बिता सकते हैं। साथ ही साथ राजस्थानी संगीत और भोजन का मजा भी ले सकते हैं।यहां रेत के टीलों पर खड़े होकर सूर्यास्त देखना और ऊंट की सवारी करना काफी रोमांचक लगता है।