जाने कैसें, गणेशजी दूर कर सकतें है आपके घर के वास्तुदोष

By: Ankur Thu, 23 Nov 2017 2:45:52

जाने कैसें, गणेशजी दूर कर सकतें है आपके घर के वास्तुदोष

सुन्दर व अच्छा घर बनाना या उसमें रहना हर व्यक्ति की इच्छा होती है। लेकिन थोड़ा सा वास्तु दोष आपको काफी कष्ट दे सकता है। लेकिन वास्तु दोष निवारण के महंगे उपायों को अपनाने से पहले विघ्नहर्ता गजानन के आगे मस्तक जरूर टेक लें। क्योंकि आपके कई वास्तु दोषों का ईलाज गणपति पूजा से ही हो जाता है। गणेश जी उन्नति, खुशहाली और मंगलकारी देवता हैं। कहते हैं जहां पर गणेश जी की नित पूजा अर्चना होती है वहां पर रिद्घि-सिद्घि और शुभ लाभ का वास होता है। ऐसे स्थान पर अमंगलकारी घटनाएं और दुख दरिद्रता नहीं आती है। इसलिए गणेश जी की पूजा हर घर में होती है। आइये जानते हैं किस तरह गणेशजी हमारे घर का वास्तुदोष दूर करते हैं।

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* आम, पीपल और नीम से बनी गणेश जी की मूर्ति अपने घर अवश्य लाएं और इसे घर के मुख्य दरवाजे पर लगाना चाहिरए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है जो धन और सुख में वृद्धिर कारक मानी जाती है।

* यदि घर के मुख्य द्वार पर एकदंत की प्रतिमा या चित्र लगाया गया हो तो उसके दूसरी तरफ ठीक उसी जगह पर इस प्रकार से दूसरी प्रतिमा या चित्र लगाएं कि दोनों गणेशजी की पीठ मिली रहे। इससे वास्तु दोषों का शमन होता है।

* घर में बैठे हुए गणेशजी व कार्यस्थल पर खड़े गणपति का चित्र लगाना चाहिए, किन्तु यह ध्यान रखें कि खड़े गणेशजी के दोनों पैर जमीन का स्पर्श करते हुए हों।

* भवन की हर किसी दिशा में भगवान श्रीगणेश कि प्रतिमा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। बल्कि सामान्यतया इस मूर्ति या फोटो को कुछ इस प्रकार रखें कि इन्हें नमन करते समय हमारा मुख सदा पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर हो। अर्थात ऐसे में श्रीगणेश जी की तस्वीर या मूर्ति का मुख स्वत: ही दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा की ओर होगा।

* घर में पूजा के लिए गणेश जी की शयन या बैठी मुद्रा में हो तो अधिक उपयोगी होती है। यदि आपको कला या अन्य शिक्षा के उपयोग से पूजन करना हो तो नृत्य गणेश की तस्वीर लगानी चाहिए इसके अलावा यदि आपका फर्श का झुकाव दक्षिण की और है तो दक्षिण की दिवार पर अंदर की तरफ एक नृत्य गणेश की तस्वीर लगाये।

* विघ्नहर्ता की मूर्ति अथवा चित्र में उनके बाएं हाथ की और सूंड घुमी हुई हो, इस बात का ध्यान रखना चाहिए। दाएं हाथ की ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी हठी होते हैं तथा उनकी साधना-आराधना कठिन होती है। वे देर से भक्तों पर प्रसन्न होते हैं।

* मंगल मूर्ति को मोदक एवं उनका वाहन मूषक अतिप्रिय है। अतः चित्र लगाते समय ध्यान रखें कि चित्र में मोदक या लड्डू और चूहा अवश्य होना चाहिए।

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