श्राद्ध नहीं कर पाने के पीछे क्या पैसों की कमी बनी वजह, इस तरह करें पितरों को प्रसन्न
By: Ankur Mundra Wed, 02 Sept 2020 07:54:45
भाद्रपद की पूर्णिमा से ही श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो जाती हैं जो आश्विन अमावस्या तक जारी रहते हैं। हर कोई अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध करता हैं और उनकी आत्मा की संतुष्टि की कामना करता हैं। लेकिन कई बार ऐसी स्थिति आ जाती हैं कि व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती हैं जिसके चलते श्राद्धकर्म को पूर्ण विधि-विधान से करने में असमर्थ हो जाते हैं। ऐसे में व्यक्ति को हमेशा डर बना रहता हैं कि उनके पितर कहीं इससे नाराज ना हो जाए। ऐसे में आज हम आपको शास्त्रों में वर्णित श्राद्ध की विधि के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे धन की कमी होने पर भी आसानी से किया जा सकता हैं। तो आइये जानते हैं, इसके बारे में।
- हमारे शास्त्रों ने धन का अभाव होने पर भी श्राद्ध संपन्नता के कुछ नियम सुनिश्चित किए हैं। जिसमें अन्न-वस्त्र एवं श्राद्धकर्म की पूर्ण विधि के अभाव में केवल शाक (हरी सब्ज़ी) के द्वारा श्राद्ध संपन्न करने का विधान बताया गया है।
- यदि शाक के द्वारा भी श्राद्ध संपन्न करने का सामर्थ्य ना हो तो शाक के अभाव में दक्षिणाभिमुख होकर आकाश में दोनों भुजाओं को उठाकर निम्न प्रार्थना करने मात्र से भी श्राद्ध की संपन्नता शास्त्रों द्वारा बताई गई है।
- हे मेरे पितृगण! मेरे पास श्राद्ध के उपयुक्त न तो धन है, न धान्य आदि। हां मेरे पास आपके लिए श्रद्धा और भक्ति है। मैं इन्हीं के द्वारा आपको तृप्त करना चाहता हूं। आप तृप्त हों। मैंने शास्त्र के निर्देशानुसार दोनों भुजाओं को आकाश में उठा रखा है।
- हमारे अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार श्राद्धकर्म संपन्न करना चाहिए। सामर्थ्य ना होने पर ही उपर्युक्त व्यवस्था का अनुपालन करना चाहिए। आलस एवं समयाभाव के कारण उपर्युक्त व्यवस्था का सहारा लेना दोषपूर्ण है।
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