अल्लाह के नजदीक लेकर जाने वाला होता है रमजान का महीना, पहला रोजा आज, पीएम मोदी ने दी बधाई

By: Pinki Tue, 07 May 2019 09:32:08

अल्लाह के नजदीक लेकर जाने वाला होता है रमजान का महीना, पहला रोजा आज, पीएम मोदी ने दी बधाई

मुसलमानों के सबसे पवित्र महीने रमजान की शुरुआत आज से हो गई है। इस्लाम धर्म में इस महीने को काफी अहमियत दी जाती है। लोग पूरे महीने इबादतों में मशगूल रहते हैं। दुनिया भर के मुसलमान द्वारा इस महीने को बेहद पवित्र माना जाता हैं और वे इस महीने में रोजे रखकर इसका सम्मान करते हैं। इस्लामी कैलंडर के अनुसार नौवां महीना रमजान का मुबारक महीना होता हैं। इस महीने में व्यक्ति अपने आप पर संयम रखना सीखता हैं। दिल्ली की शाही फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने बताया कि रविवार शाम चांद कमेटी की बैठक हुई थी, जिसमें चांद दिखने की खबर कहीं से नहीं मिली। दिल्ली का आसमान साफ था फिर भी चांद नहीं दिखा। उन्होंने बताया कि सोमवार को इस्लामी महीने शाबान का 30 वां दिन होगा और पहला रमज़ान 7 मई को होगा। यानी पहला रोज़ा मंगलवार को होगा। ऐसा माना जाता है कि इस पाक महीने में आम दिनों में किए गए नेकी के काम की तुलना में 70 गुना अधिक नेकी मिलती है। मुसलमान इस महीने को इबादतों का महीना मानते हैं। इस दौरान वो दिनभर सुबह से शाम तक रोजा रखते हैं, शाम को इफ्तार (शाम को रोजा खत्म करने के लिए खाया जाना वाला खाना) करते हैं और रात में खास नमाज तरावीह पढ़ते हैं और रात की आखिरी पहर में सेहरी (रोजा शुरू होने से पहले का खाना) खाते हैं।

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अल्लाह के नजदीक लेकर जाने वाले होते हैं रमजान के दिन

भूख-प्यास की तड़प के बीच जबान से रूह तक पहुंचने वाली खुदा की इबादत हर मोमिन को उसका खास बना देती है। खुद को हर बुराई से बचाकर अल्लाह के नजदीक ले जाने की यह सख्त कवायद हर मुसलमान के लिए खुद को पाक-साफ करने का सुनहरा मौका होती है। रमजान का मकसद खुद को गलत काम करने से रोकने की ताकत पैदा करना या उसे पुनर्जीवित करना है। शरीयत की जुबान में इस ताकत को ‘तक़वा’ कहा जाता है।

30 दिन का होता है रमजान का महीना

मौलाना नोमानी ने कहा कि रमजान में 30 दिन तक इस बात की मश्क़ (अभ्यास) करायी जाती है कि जो काम तुम्हारे लिए जायज है, उसके लिए भी तुम खुद को रोक लो। तब इंसान यह महसूस करने लगता है कि जब मैं हलाल कमाई से हासिल किया गया खाना और पानी इस्तेमाल करने से खुद को रोक सकता हूं तो गलत काम करने से क्यों नहीं रोक सकता हूं। इंसान अक्सर यह सोचता है कि वह चाहकर भी खुद को गुनाह करने से रोक नहीं पाता, मगर यह उसकी गलतफहमी है। रमजान उसे इसका एहसास कराता है।

किस तरह मनाया जाता है यह महीना

लूनर कैलेंडर के अनुसार नौवें महीने यानी रमजान को 610 ईसवी में पैगंबर मोहम्मद पर कुरान प्रकट होने के बाद मुसलमानों के लिए पवित्र घोषित किया गया था। तभी से दुनिया भर के मुसलमान पहली बार कुरान के उतरने की याद में पूरे महीने रोजे रखते हैं। मुसलमान महीने भर प्रभात से लेकर सूरज छिपने तक बिना खाए पिये रहते हैं। रोजेदार सवेरे बहुत जल्दी उठ जाते हैं और प्रभात से पहले ही खा लेते हैं जिसे सहरी कहते हैं। और शाम को वे इफ्तार के साथ अपना रोजा खोलते हैं। रमजान इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और यह दान करने, पुण्य यानी सबाब कमाने और दरियादिली दिखाने के सिद्धांतों से भी जुड़ा है। इस्लाम के पांच अन्य स्तंभों में धर्म पर सच्ची श्रद्धा रखना, नमाज पढ़ना, जकात यानी दान देना और हज करना शामिल है। शिया और सुन्नी रमजान दोनों के लिए रजमान के रीति रिवाज एक जैसे ही है। लेकिन कुछ अंतर भी हैं। जैसे सुन्नी मुसलमान अपना रोजा सूरज छिपने पर खोलते हैं। मतलब उस वक्त सूरज बिल्कुल दिखना नहीं चाहिए। वहीं शिया लोग आकाश में पूरी तरह अंधेरा होने तक इंतजार करते हैं। इंडोनेशिया के कुछ हिस्सों में मुसलमान लोग पवित्र महीना शुरू होने से पहले साफ पानी में खुद को जलमग्न कर देते हैं ताकि वे आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से शुद्ध हो सकें। इस तरह के स्नान को वहां 'पादुसान' कहते हैं। रमजान को आध्यात्मिक रूप से पवित्र होने के तरीके के तौर पर भी देखा जाता है। इस दौरान संयमित और अनुशासित व्यवहार करने के लिए प्रेरित किया जाता है। रोजे रखने का मकसद मुसलमानों को यह याद दिलाना भी है कि गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति दयाभाव रखना और उनकी मदद करना कितना जरूरी है।

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देखने लायक होती है बाजारों की रौनक

रमज़ान के मौके पर बाजारों की रौनक देखने लायक होती है। हर तरफ रौशनी ही रौशनी होती है और खूब चहल पहल देखने को मिलती है। बाज़ारों में मिठाई और सिवईयों की अलग अलग किस्में लोगों को खूब लुभाती हैं। जैसे-जैसे रमजान का सफर आगे बढ़े यानि ईद करीब आएगी, खरीदारी का दौर भी जमकर चलेगा।

रमजान में रोज़े की शुरुआत चांद देखकर की जाती है और अगले एक महीने तक मुसलमान रोज़ा रखते हैं। रोज़ा शुरु होने के 29 या फिर 30 दिनों के बाद चांद देखकर ही रमजान का महीना खत्म होता और अगले दिन ईद मनाई जाती है, जिसे इद-उल-फितर कहा जाता है।

पीएम मोदी ने दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रमजान के पवित्र महीने के शुभारंभ पर लोगों को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘रमजान के पवित्र महीने के शुरू होने पर बधाई। यह पावन महीना हमारे समाज में सौहार्द्र, खुशहाली और भाईचारा बढाए।’’

वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया है, ‘’रमज़ान के पाक महीने की सब को बहुत बहुत शुभकामनाएं।’’

इबादत में गुजरता है पूरा दिन-रात

इस महीने में रोज़ेदार सुबह की अज़ान (करीब 4 बजे) से पहले सेहरी करते हैं यानि कुछ खाते हैं और फिर दिनभर बिना कुछ खाए पिए बिताते हैं। शाम में मग़रिब की अज़ान यानि करीब 7 बजे के बाद इफ्तार के साथ अपना रोज़ा खोलते हैं। इस दौरान मुसलमान किसी तरह के भी खाने पीने की चीज़ों का इस्तेमाल नहीं करते हैं।

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