शास्त्रों के अनुसार पत्नी के यह 4 गुण, बनाते है पति को भाग्यशाली

By: Ankur Tue, 25 Sept 2018 3:20:13

शास्त्रों के अनुसार पत्नी के यह 4 गुण, बनाते है पति को भाग्यशाली

पति-पत्नी का रिश्ता आपसी समझ और विश्वास का रिश्ता होता हैं। हिन्दू धर्म में तो पत्नी को अद्धांगिनी कहा जाता है। इसी के साथ पत्नी को घर की लक्ष्मी भी कहा जाता हैं। महाभारत में तो भीष्म पितामह ने कहा है कि पत्नी को हमेशा प्रसन्न ही रखना चाहिए। गरुड़ पुराण में भी पत्नी के कुछ गुणों का वर्णन किया जाता हैं और जिस पत्नी में ये गुण होते हैं, उनके पति को भाग्यशाली माना जाता हैं। तो आइये जानते हैं पत्नी के उन गुणों के बारे में।

* गृह कार्य में दक्ष यानी घर संभालने वाली

गृह कार्य यानी घर के काम, जो पत्नी घर के सभी कार्य जैसे- भोजन बनाना, साफ-सफाई करना, घर को सजाना, कपड़े-बर्तन आदि साफ करना, बच्चों की जिम्मेदारी ठीक से निभाना, घर आए अतिथियों का मान-सम्मान करना, कम संसाधनों में ही गृहस्थी चलाना आदि कार्यों में निपुण होती है, उसे ही गृह कार्य में दक्ष माना जाता है। ये गुण जिस पत्नी में होते हैं, वह अपने पति की प्रिय होती है।

qualities of wife,garud puran,astrology tips,lucky husband ,पत्नी के गुण, गरुड़ पुराण, भाग्यशाली पति. ज्योतिष टिप्स

* प्रियवादिनी यानी मीठा बोलने वाली

पत्नी को अपने पति से सदैव संयमित भाषा में ही बात करना चाहिए। संयमित भाषा यानी धीरे-धीरे व प्रेमपूर्वक। पत्नी द्वारा इस प्रकार से बात करने पर पति भी उसकी बात को ध्यान से सुनता है व उसके इच्छाएं पूरी करने की कोशिश करता है। पति के अलावा पत्नी को घर के अन्य सदस्यों जैसे- सास-ससुर, देवर-देवरानी, जेठ-जेठानी, ननद आदि से भी प्रेमपूर्वक ही बात करनी चाहिए। बोलने के सही तरीके से ही पत्नी अपने पति व परिवार के अन्य सदस्यों के मन में अपने प्रति स्नेह पैदा कर सकती है।

* पतिपरायणा यानी पति की हर बात मानने वाली

जो पत्नी अपने पति को ही सर्वस्व मानती है तथा सदैव उसी के आदेश का पालन करती है, उसे ही धर्म ग्रंथों में पतिव्रता कहा गया है। पतिव्रता पत्नी सदैव अपने पति की सेवा में लगी रहती है, भूल कर भी कभी पति का दिल दुखाने वाली बात नहीं कहती। यदि पति को कोई दुख की बात बतानी हो तो भी वह पूर्ण संयमित होकर कहती है। हर प्रकार के पति को प्रसन्न रखने का प्रयास करती है। पति के अलावा वह कभी भी किसी अन्य पुरुष के बारे में नहीं सोचती। धर्मग्रंथों में ऐसी ही पत्नी को पतिपरायणा कहा गया है।

* धर्म का पालन करने वाली

एक पत्नी का सबसे पहले यही धर्म होता है कि वह अपने पति व परिवार के हित में सोचे व ऐसा कोई काम न करे जिससे पति या परिवार का अहित हो। गरुड़ पुराण के अनुसार, जो पत्नी प्रतिदिन स्नान कर पति के लिए सजती-संवरती है, कम खाती है, कम बोलती है तथा सभी मंगल चिह्नों से युक्त है। जो निरंतर अपने धर्म का पालन करती है तथा अपने पति का प्रिय करती है, उसे ही सच्चे अर्थों में पत्नी मानना चाहिए। जिसकी पत्नी में यह सभी गुण हों, उसे स्वयं को देवराज इंद्र ही समझना चाहिए।

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com