Navratri Special 2019: नवरात्रि पर कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त, सामग्री और महत्व

By: Pinki Fri, 05 Apr 2019 12:25:33

Navratri Special 2019: नवरात्रि पर कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त, सामग्री और महत्व

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) 6 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं, जो 14 अप्रैल तक चलेंगे। वैसे तो नवरात्र वर्ष में 4 बार आते हैं। मगर 2 नवरात्र गुप्‍त होते हैं और बाकी के 2 नवरात्र में पूरे विधि-विधान के साथ मां दुर्गा की पूजा की जाती है। पहला शीत ऋतु की समाप्‍ति के बाद आरंभ होता है। यह चैत्र माह के शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होता है। दूसरा शारदीय नवरात्र कहलाता है, जो कि शीत ऋतु के शुरू होने पर आता है। चैत्र नवरात्र की की तैयारियां काफी पहले ही शुरू हो गई थीं। बाज़ार माता की चुनरियों और सामग्रियों से भरे पड़े हैं। नौ दिन तक चलने वाले इस पर्व के लिए मंदिर सज चुके हैं। इस पूजन में सबसे खास कलश स्थापना (Kalash Sthapna)।आइए जानते हैं क्‍या है कलश स्‍थापना के लिए शुभ मुहूर्त…

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

6 अप्रैल की सुबह 06:19 से 10:26 तक कलश की स्थापना करें।

कलश स्‍थापना की विधि

कलश स्‍थापना के जिए प्रतिपदा के दिन शुभ मुहूर्त से पहले उठकर प्रात: स्‍नान कर लें। एक रात पहले ही पूजा की सारी सामग्री एकत्र करके सोएं। स्‍नान के पश्‍चात आसन पर लाल रंग का एक वस्‍त्र बिछा लें। वस्‍त्र पर श्रीगणेश जी का स्‍मरण करते हुए थोड़े से चावल रखें। अब मिट्टी की बेदी बनाकर उस जौ बो दें और फिर उस पर जल से भरा मिट्टी या तांबे का कलश स्‍थापित करें। कलश पर रोली से स्‍वास्तिक या फिर ऊं बनाएं। कलश के मुख पर रक्षा सूत्र भी बांधा जाना चाहिए। कलश में कभी खाल जल नहीं साथ में सुपारी और सिक्‍का भी डालना चाहिए।

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कलश स्थापना के लिए सामग्री

मिट्टी का पात्र, लाल रंग का आसन, जौ, कलश के नीचे रखने के लिए मिट्टी, कलश, मौली, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, चावल, अशोका या आम के 5 पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, माता का श्रृंगार और फूलों की माला।

ऐसे करें कलश स्थापना

नवरात्रि के पहले दिन नहाकर मंदिर की सफाई करें या फिर जमीन पर माता की चौकी लगाएं। सबसे पहले भगवान गणेश जी का नाम लें। मां दुर्गा के नाम की अखंड ज्योत जलाएं और मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालें। उसमें जौ के बीच डालें। कलश या लोटे पर मौली बांधें और उस पर स्वास्तिक बनाएं। लोटे (कलश) पर कुछ बूंद गंगाजल डालकर उसमें दूब, साबुत सुपारी, अक्षत और सवा रुपया डालें। अब लोटे (कलश) के ऊपर आम या अशोक 5 पत्ते लगाएं और नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर रखें। अब इस कलश को जौ वाले मिट्टी के पात्र के बीचोबीच रख दें। अब माता के सामने व्रत का संकल्प लें।

जानिए क्यों की जाती है कलश स्थापना

कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है। मान्यता है कि कलश स्थापना मां दुर्गा का आह्वान है और शक्ति की इस देवी का नवरात्रि से पहले वंदना शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इससे देवी मां घरों में विराजमान रहकर अपनी कृपा बरसाती हैं।

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