अपार धन संपदा होने के बाद भी गरीब है तिरुपति बालाजी, जानें इसकी बड़ी वजह

By: Ankur Mon, 10 June 2019 07:28:39

अपार धन संपदा होने के बाद भी गरीब है तिरुपति बालाजी, जानें इसकी बड़ी वजह

हमारे देश में भगवान के प्रति आस्था और प्यार को व्यक्ति अपनी भक्ति और मंदिर में चढ़ावे से व्यक्त करता हैं। मंदिर में इस चढ़ावे के लिए देश में सबसे बड़ा मंदिर त‌िरुपत‌ि बालाजी को ही माना जाता हैं क्योंकि हर साल यहाँ कई करोड़ों का चढ़ावा आता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तिरुपति बालाजी के मंदिर में इतना चढ़ावा आने के बाद भी तिरुपति बालाजी को गरीब माना जाता हैं। जी हाँ, इतनी धन-संपदा के बाद भी तिरुपति बालाजी गरीब हैं और इसका कारण पता चलता हैं पुराणों में। आज हम आपको इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में ही बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं।

त‌िरुपत‌ि बालाजी के बारे में ऐसी प्राचीन कथा है ज‌िसके अनुसार बालाजी कल‌ियुग के अंत तक कर्ज में रहेंगे। बालाजी के ऊपर जो कर्ज है उसी कर्ज को चुकाने के ल‌िए यहां भक्त सोना और बहुमूल्य धातु एवं धन दान करते हैं। शास्‍त्रों के अनुसार कर्ज में डूबे व्यक्त‌ि के पास क‌ितना भी धन हो वह गरीब ही होता है। इस न‌ियम के अनुसार यह माना जाता है क‌ि धनवान होकर भी गरीब हैं बालाजी।

astrology,mythology,tirupati balaji,mythology of tirupati balaji ,पौराणिक कथा, तिरुपति बालाजी, तिरुपति बालाजी की पौराणिक कथा, तिरुपति बालाजी की गरीबी का कारण

प्राचीन कथा के अनुसार एक बार महर्ष‌ि भृगु बैकुंठ पधारे और आते ही शेष शैय्या पर योगन‌िद्रा में लेटे भगवान व‌िष्‍णु की छाती पर एक लात मारी। भगवान व‌िष्‍णु ने तुरंत भृगु के चरण पकड़ ल‌िए और पूछने लगे क‌ि ऋष‌िवर पैर में चोट तो नहीं लगी।

भगवान व‌िष्‍णु का इतना कहना था क‌ि भृगु ऋष‌ि ने दोनों हाथ जोड़ ल‌िए और कहने लगे प्रभु आप ही सबसे सहनशील देवता हैं इसल‌िए यज्ञ भाग के प्रमुख अध‌िकारी आप ही हैं। लेक‌िन देवी लक्ष्मी को भृगु ऋष‌ि का यह व्यवहार पसंद नहीं आया और वह व‌िष्‍णु जी से नाराज हो गई। नाराजगी इस बात से थी क‌ि भगवान ने भृगु ऋष‌ि को दंड क्यों नहीं द‌िया।

astrology,mythology,tirupati balaji,mythology of tirupati balaji ,पौराणिक कथा, तिरुपति बालाजी, तिरुपति बालाजी की पौराणिक कथा, तिरुपति बालाजी की गरीबी का कारण

नाराजगी में देवी लक्ष्मी बैकुंठ छोड़कर चली गई। भगवान व‌िष्‍णु ने देवी लक्ष्मी को ढूंढना शुरु क‌िया तो पता चला क‌ि देवी ने पृथ्‍वी पर पद्मावती नाम की कन्या के रुप में जन्म ल‌िया है। भगवान व‌िष्‍णु ने भी तब अपना रुप बदला और पहुंच गए पद्मावती के पास। भगवान ने पद्मावती के सामने व‌िवाह का प्रस्ताव रखा ज‌िसे देवी ने स्वीकार कर ल‌िया। लेक‌िन प्रश्न सामने यह आया क‌ि व‌िवाह के ल‌िए धन कहां से आएगा।

व‌िष्‍णु जी ने समस्या का समाधान न‌िकालने के ल‌िए भगवान श‌िव और ब्रह्मा जी को साक्षी रखकर कुबेर से काफी धन कर्ज ल‌िया। इस कर्ज से भगवान व‌िष्‍णु के वेंकटेश रुप और देवी लक्ष्मी के अंश पद्मवती ने व‌िवाह क‌िया।

कुबेर से कर्ज लेते समय भगवान ने वचन द‌िया था क‌ि कल‌ियुग के अंत तक वह अपना सारा कर्ज चुका देंगे। कर्ज समाप्त होने तक वह सूद चुकाते रहेंगे। भगवान के कर्ज में डूबे होने की इस मान्यता के कारण बड़ी मात्रा में भक्त धन-दौलत भेंट करते हैं ताक‌ि भगवान कर्ज मुक्त हो जाएं।

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2025 lifeberrys.com