Ganesh Chaturthi 2018 : क्या आप जानते हैं गणेश जी के टूटे दांत का राज, आइये हम बताते हैं
By: Ankur Fri, 07 Sept 2018 5:25:28
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी का दिन गणेश चतुर्थी के पर्व के रूप में मनाया जाता हैं। इस बार यह पर्व 13 सितम्बर को मनाया जा रहा हैं। इस दिन सभी लोग अपने घरों में गणेशजी की मूर्ती की स्थापना करते हैं। जिसमें से कई लोगों को एकदंत वाली मूर्ती पसंद आती हैं। लेकिन क्या आप गणेश जी के टूटे दांत का राज जानते हैं। अगर नहीं तो आइये आज हम बताते हैं आपको इसके पीछे की कहानी के बारे में।
जब महर्षि वेदव्यास महाभारत लिखने के लिए बैठे, तो उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो उनके मुख से निकले हुए महाभारत की कहानी को लिखे। इस कार्य के लिए उन्होंने श्री गणेश जी को चुना। गणेश जी भी इस बात के लिए मान गए पर उनकी एक शर्त थी कि पूरा महाभारत लेखन को एक पल ले लिए भी बिना रुके पूरा करना होगा। गणेश जी बोले – अगर आप एक बार भी रुकेंगे तो मैं लिकना बंद कर दूंगा।
महर्षि वेदव्यास नें गणेश जी की इस शर्त को मान लिया। लेकिन वेदव्यास ने गणेश जी के सामने भी एक शर्त रखा और कहा – गणेश आप जो भी लिखोगे समझ कर ही लिखोगे। गणेश जी भी उनकी शर्त मान गए। दोनों महाभारत के महाकाव्य को लिखने के लिए बैठ गए। वेदव्यास जी महाकाव्य को अपने मुहँ से बोलने लगे और गणेश जी समझ-समझ कर जल्दी-जल्दी लिखने लगे। कुछ देर लिखने के बाद अचानक से गणेश जी का कलम टूट गया। कलम महर्षि के बोलने की तेजी को संभाल ना सका।
गणेश जी समझ गए की उन्हें थोडा से गर्व हो गया था और उन्होंने महर्षि के शक्ति और ज्ञान को ना समझा। उसके बाद उन्होंने धीरे से अपने एक दांत को तोड़ दिया और स्याही में डूबा कर दोबारा महाभारत की कथा लिखने लगे। जब भी वेदव्यास को थकान महसूस होता वे एक मुश्किल सा छंद बोलते , जिसको समझने और लिखने के लिए गणेश जी को ज्यादा समय लग जाता था और महर्षि को आराम करने का समय भी मिल जाता था।
महर्षि वेदव्यास जी और गणेश जी को महाभारत लिखने में 3 वर्ष लग गए। वैसे तो कहा जाता है महाभारत के कुछ छंद घूम हो गए हैं परन्तु आज भी इस कविता में 100000 छंद हैं।