उपाय : पितरों को करें प्रसन्न और पाए उनकी कृपा

By: Kratika Tue, 02 Jan 2018 2:54:48

उपाय : पितरों को करें प्रसन्न और पाए उनकी कृपा

हमारे पूर्वज जो अपने शरीर को त्याग कर किसी और लोक में पहुँच गए हैं, अगर वो किसी बात से नाराज होते हैं या उनकी कोई इच्छा पूरी नहीं होती तो अप्रसन्न रहते हैं जिससे पित्रदोश की समस्या होती हैं और घर में कई तरह की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इसे दूर करने के लिए पितरों को प्रसन्न करना पड़ता हैं। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे उपाय जिनसे आप अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं।

* पितरों को खुश करने के लिए जातक को अपने घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनकी पूजा स्तुति करना चाहिए और उनका आशीर्वाद करना चाहिए ! ऐसा करने से पितृ खुश होने लगते हैं।

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* इसके बाद किसी बिल्व के पेड़ से 21 बिल्व के पत्ते तोड़ लाएं। ध्यान रखें बिल्व के पत्ते कहीं से भी खंडित न हों और जमीन पर न गिरे हों। घर लाकर पत्तों को साफ पानी से धो लें।

* श्राद्धों में सात पदार्थों को ग्रहण करने से पितृ बहुत खुश होते हैं जैसे गंगाजल, दूध, शहद, तरस का कपड़ा, दौहित्र, कुतप (कुश) और तिल।चना, मसूर, बड़ा उड़द, कुलथी, लहसुन, प्याज, सत्तू, रेंड, मूली, काला जीरा, कचनार, खीरा, काला उड़द, काला नमक, लौकी, बड़ी सरसों, काल सरसों की पत्ती, शतपुष्पी तथा बासी, अपवित्र फल या अन्न श्राद्ध में अर्पित नहीं करने चाहिए।

* एक थाली में लोटो और बिल्प के पत्तों को रखें और शिव मंदिर जाएं। हांलाकि शास्त्रों में यह बताया है कि यह उपाय यदि उस शिवलिंग पर किया जाए, जो किसी पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित हों, तो उसका महत्व बढ़ जाता है, लेकिन यदि ऐसा मंदिर आस-पास न भी हो, तो जो भी सिद्ध मंदिर हो वहां जाकर यी उपाय कर सकते हैं।

* पितरों को खुश करने के लिए व्यक्ति को अपने स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण तिथि पर जरूरतमंदों गरीब और ब्राह्मणों को खाना खिलाना चाहिए खाने में मृतात्मा की मनपसंद एज वस्तु होनी चाहिए और साथ ही साथ अपनी सामर्थ्यानुसार गरीबों को वस्त्र और अन्न आदि का दान करना चाहिए।

* तिल-तर्पण खुले हाथ से देना चाहिए। तिलों को रोओं में या हस्तमूल में लगे नहीं रहना चाहिए।यदि किसी कारण श्राद्धों में पितरों का श्राद्ध छूट गया हो तो अमावस्या के दिन सर्वप्रथम छूटे हुए श्राद्ध के निमित्त विधिपूर्वक श्राद्ध कर्म करना चाहिए और उसके बाद पितृ विसर्जन तर्पण करके भोजन ग्रहण करना चाहिए।

* कुंडली में पितृ दोष होने पर पितरों के नाम से अस्पताल, मंदिर, विद्यालय, धर्मशाला आदि का निर्माण करवाने चाहिए या उसमे चंदा देना चाहिए। ऐसा करने से पितरों को प्रसन्नता होती हैं।

* कुंडली मे दोष होने पर पितरों के नाम से अस्पताल, मंदिर, विद्यालय, धर्मशाला आदि का निर्माण करवाने चाहिए या उसमे चंदा देना चाहिए। ऐसा करने से पितरों को प्रसन्नता होती हैं।

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