
बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। रविवार को उन्होंने पाकिस्तान के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शामशाद मिर्ज़ा से मुलाकात की, जिसके दौरान यूनुस ने उन्हें एक किताब ‘आर्ट ऑफ ट्रायंफ’ भेंट की। इस किताब के कवर पर ऐसा नक्शा छपा था जिसमें भारत के असम समेत पूर्वोत्तर के सातों राज्य बांग्लादेश के हिस्से के रूप में दिखाए गए थे।
इस विवादास्पद नक्शे की तस्वीर यूनुस ने खुद अपने आधिकारिक ‘एक्स’ अकाउंट पर साझा की। तस्वीरें वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। कई भारतीय यूज़र्स और राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता पर खुली टिप्पणी बताया।
पाक से रिश्तों में ‘गर्माहट’, भारत से ठंडे संबंध
यूनुस और जनरल मिर्ज़ा की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब ढाका और इस्लामाबाद के बीच रिश्ते ऐतिहासिक तनाव के बाद हाल में कुछ नरम पड़े हैं। यह संबंध 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद से हमेशा तल्ख रहे हैं। मगर अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन और यूनुस के अंतरिम सत्ता में आने के बाद से बांग्लादेश के पाकिस्तान और चीन की ओर झुकाव बढ़ता दिखा है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने अब तक इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार नई दिल्ली इस पूरे घटनाक्रम पर करीबी नज़र रखे हुए है।
यूनुस का ‘पूर्वोत्तर प्रेम’ पुराना है
यह पहली बार नहीं है जब मोहम्मद यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर को लेकर विवादित बयान या संकेत दिया हो। इससे पहले अप्रैल 2025 में अपनी चीन यात्रा के दौरान उन्होंने कहा था कि “भारत का पूर्वोत्तर हिस्सा पूरी तरह लैंडलॉक्ड है और बांग्लादेश ही इस क्षेत्र के लिए समुद्र तक पहुंच का एकमात्र द्वार है।”
उन्होंने चीन को आमंत्रित करते हुए कहा था कि बांग्लादेश इस क्षेत्र के लिए ‘समुद्र का एकमात्र संरक्षक’ है और इसलिए चीन को यहां आर्थिक विस्तार का अवसर लेना चाहिए। यूनुस के इस बयान पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उस समय कहा था कि भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र देश की रणनीतिक ताकत और बिम्सटेक देशों के लिए प्रमुख संपर्क केंद्र है।
‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का खतरनाक एजेंडा
यूनुस सरकार के कुछ करीबी सलाहकार भी इस दिशा में विवाद खड़ा कर चुके हैं। मई 2025 में उनके सहयोगी और सेवानिवृत्त मेजर जनरल फज़लुर रहमान ने कहा था कि अगर भारत ने पाकिस्तान पर हमला किया, तो बांग्लादेश को चीन के साथ मिलकर भारत के पूर्वोत्तर पर कब्ज़ा करना चाहिए।
इससे पहले 2024 में यूनुस के एक अन्य करीबी, नाहिदुल इस्लाम, ने सोशल मीडिया पर ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का नक्शा साझा किया था जिसमें पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम के कुछ हिस्सों को भी बांग्लादेश का भाग दिखाया गया था। हालांकि तीखी आलोचना के बाद वह पोस्ट हटा ली गई।

भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव
शेख हसीना के शासनकाल में भारत और बांग्लादेश के बीच पूर्वोत्तर क्षेत्र से जुड़े ट्रांजिट समझौते, जलमार्ग संपर्क और व्यापारिक रिश्ते काफी मज़बूत हुए थे। लेकिन यूनुस के कार्यकाल में इन रिश्तों में ठंडापन आ गया है।
भारत ने हाल ही में बांग्लादेशी माल के लिए अपनी ज़मीन से होकर नेपाल, भूटान और म्यांमार जाने वाले पारगमन समझौते को रद्द कर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि यूनुस सरकार का यह रवैया चीन और पाकिस्तान की रणनीतिक साझेदारी से प्रेरित है, जो भारत के पूर्वोत्तर में प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में हैं।
पड़ोसी देशों की राजनीति में भारत का जिक्र क्यों?
विश्लेषकों के अनुसार, यूनुस द्वारा बार-बार भारत के पूर्वोत्तर का जिक्र करना कोई संयोग नहीं, बल्कि एक सुनियोजित राजनीतिक चाल हो सकती है। इससे वे एक ओर पाकिस्तान और चीन की नज़दीकियां बढ़ा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर घरेलू राजनीति में राष्ट्रवाद का माहौल बनाकर अपने समर्थन को मज़बूत करना चाहते हैं।
हालांकि, इस रणनीति का असर भारत-बांग्लादेश संबंधों पर दीर्घकालिक रूप से नकारात्मक पड़ सकता है। दक्षिण एशिया में स्थिरता के लिए दोनों देशों का सहयोग आवश्यक माना जाता है, और यूनुस की यह हरकत उस संतुलन को कमजोर कर सकती है।














