
अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपनी अफगानिस्तान नीति को लेकर सुर्खियों में हैं। हाल ही में उन्होंने एक बड़ा यू-टर्न लेते हुए खुलासा किया कि उनका प्रशासन अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस को दोबारा सक्रिय करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। यह वही बगराम एयरबेस है जिसे अमेरिका ने चार साल पहले अफगानिस्तान से अपनी सेना की वापसी के दौरान खाली किया था।
डोनाल्ड ट्रंप ने यह बयान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ चेकर्स में आयोजित एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया। उन्होंने साफ कहा कि बगराम एयरबेस की रणनीतिक स्थिति को देखते हुए अमेरिका इसे फिर से अपने कब्जे में लेना चाहता है। ट्रंप ने कहा, "हम इस एयरबेस को वापस लेना चाहते हैं, क्योंकि कुछ लोग हमसे चीजें चाहते हैं, और यह बेस चीन के परमाणु हथियार निर्माण स्थल से सिर्फ एक घंटे की दूरी पर है।"
ट्रंप का यह बयान चीन के लिए स्पष्ट संदेश माना जा रहा है। उन्होंने इशारों में कहा कि बगराम एयरबेस का नियंत्रण न केवल अफगानिस्तान बल्कि चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भी अहम है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पहले की बाइडेन सरकार ने अफगानिस्तान से जल्दबाज़ी में सैन्य वापसी कर एक बड़ी रणनीतिक चूक की।
गौरतलब है कि बगराम एयरबेस काबुल से करीब 44 किलोमीटर उत्तर में स्थित है और यह अफगानिस्तान में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा रहा है। ट्रंप पहले भी मार्च 2025 में बगराम पर चीन के प्रभाव का दावा कर चुके हैं, जिससे यह मुद्दा और संवेदनशील बन गया था।
हालांकि ट्रंप के दावों को अफगानिस्तान की मौजूदा तालिबान सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने बयान जारी करते हुए कहा, "बगराम एयरबेस पर इस्लामिक अमीरात (तालिबान सरकार) का नियंत्रण है, चीन का नहीं। यहां कोई चीनी सैनिक मौजूद नहीं हैं और न ही हमारा किसी देश के साथ ऐसा कोई सैन्य समझौता है।"
इस नई रणनीति से अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव को और बल मिल सकता है। ट्रंप की इस घोषणा के बाद अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें एक बार फिर अफगानिस्तान पर टिक गई हैं।














