
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है। शुक्रवार (17 अक्टूबर 2025) को व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के साथ बैठक के दौरान ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने रूस से तेल न खरीदने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें इस बारे में आश्वासन दिया है और भारत ने पहले ही रूसी तेल का आयात कम करना शुरू कर दिया है। ट्रंप ने इसे “एक बड़ा और साहसिक कदम” बताया।
ट्रंप यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि अब वे चीन पर भी इसी तरह का दबाव बनाएंगे ताकि वह रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद करे। ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत के विदेश मंत्रालय ने इस दावे को सिरे से नकार दिया है। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार (16 अक्टूबर 2025) को कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच किसी भी प्रकार की बातचीत या फोन कॉल का कोई रिकॉर्ड नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हाल के दिनों में दोनों नेताओं के बीच किसी तरह की चर्चा नहीं हुई, इसलिए तेल खरीद पर किसी “आश्वासन” की बात पूरी तरह निराधार है।
अमेरिका की नाराज़गी का कारण
अमेरिका लंबे समय से भारत की रूस से तेल खरीद को लेकर असंतोष जाहिर करता रहा है। उसका तर्क है कि भारत जैसे बड़े खरीदार द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद मॉस्को को यूक्रेन युद्ध के लिए वित्तीय मदद देती है। वहीं भारत का पक्ष यह है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों के आधार पर निर्णय लेता है। भारत ने कई बार दोहराया है कि उसका मकसद सस्ती ऊर्जा सुनिश्चित करना है, न कि किसी पक्ष का समर्थन करना।
हंगरी को लेकर ट्रंप का अलग रवैया
जब एक पत्रकार ने ट्रंप से पूछा कि हंगरी भी रूस से तेल खरीद रहा है, तो उनका रुख नरम दिखा। उन्होंने कहा कि हंगरी की स्थिति अलग है क्योंकि वह भू-आबद्ध देश है और तेल के लिए पाइपलाइन पर पूरी तरह निर्भर है। ट्रंप ने हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन को “महान नेता” बताया और कहा कि वह जल्द ही उनसे मुलाकात करेंगे।
रूस से आयात में हल्की गिरावट, फिर सुधार
ट्रंप के बयानों के बावजूद आंकड़े बताते हैं कि भारत का रूसी तेल आयात अक्टूबर के शुरुआती दो हफ्तों में फिर बढ़ा है। जुलाई से सितंबर के बीच लगातार तीन महीने की गिरावट के बाद आयात में सुधार देखा गया है। उद्योग सूत्रों के अनुसार, त्योहारी सीजन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारतीय रिफाइनरियों ने फिर से पूर्ण क्षमता पर काम शुरू कर दिया है। जून में जहां रूस से आयात लगभग 20 लाख बैरल प्रतिदिन था, वहीं सितंबर तक यह घटकर 16 लाख बैरल रह गया था। अक्टूबर की शुरुआत में यह आंकड़ा फिर ऊपर चढ़ता दिख रहा है।














