
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली सरकार एक बार फिर से H-1B वीज़ा प्रणाली को पूरी तरह से बदलने की तैयारी में है। अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि फरवरी 2026 में लागू होने वाली नई $100,000 वीज़ा फीस से पहले ही इस प्रक्रिया में कई अहम बदलाव किए जाएंगे। लटनिक ने H-1B वीज़ा के मौजूदा सिस्टम को "गलत" करार देते हुए कहा कि सस्ते टेक कंसल्टेंट्स को अमेरिका में आने और अपने परिवार को लाने की इजाजत देना तर्कसंगत नहीं है।
हॉवर्ड लटनिक ने न्यूज़नेशन से बातचीत में कहा कि जब तक नई फीस प्रणाली लागू होगी, तब तक वीज़ा प्रक्रिया में काफी "गंभीर और विचारशील" बदलाव हो जाएंगे। उन्होंने साफ कहा कि मौजूदा लॉटरी प्रणाली, जिसमें कुशल पेशेवरों का चयन किया जाता है, वह न केवल अप्रभावी है बल्कि 'बिज़ार' यानी अजीब भी है।
लटनिक ने दावा किया कि दुनिया की दो सबसे बड़ी टेक कंपनियों के प्रमुखों से उनकी बातचीत में भी यह बात सामने आई कि स्किल्ड वर्कर्स के लिए लॉटरी जैसा तरीका “कोई मायने नहीं रखता”। उन्होंने कहा कि 1990 में शुरू की गई H-1B प्रक्रिया को समय के साथ “बुरी तरह से बिगाड़ दिया गया है” और अब वक्त है कि इसे पूरी तरह से सुधारा जाए।
उनके मुताबिक, वर्तमान में मिलने वाले H-1B वीज़ा में 74% हिस्सेदारी टेक कंसल्टिंग से जुड़ी है और यह वीज़ा 7 से 10 गुना ज्यादा ओवरसब्सक्राइब होता है। उनका मानना है कि वीज़ा उन लोगों को मिलना चाहिए जो सच में “उच्चतम योग्यता” रखते हों, जैसे डॉक्टर, प्रोफेसर और बेहद कुशल इंजीनियर। इसके उलट, कंपनियों को ऐसे प्रशिक्षु या सस्ते टेक वर्कर्स को लाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए जो कम वेतन पर काम करते हैं और परिवार को भी अमेरिका ले आते हैं।
लटनिक ने कहा, “यह विचार ही गलत है कि सस्ते टेक कंसल्टेंट्स को अमेरिका में बुलाया जाए और वे अपने परिवार को भी ले आएं। यह मेरे लिए पूरी तरह से अनुचित है और राष्ट्रपति ट्रंप भी मेरी इस सोच से सहमत हैं।”
गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में नए H-1B वीज़ा आवेदनों (पहली बार और रिन्युअल दोनों) पर $100,000 सालाना फीस लगाने का निर्णय लिया है। हालांकि, मौजूदा वीज़ा धारकों को इससे छूट दी गई है और वे अमेरिका के अंदर-बाहर बिना अतिरिक्त फीस के आ-जा सकेंगे।
इसके साथ ही अमेरिकी श्रम विभाग ने ‘Project Firewall’ नामक नई निगरानी पहल की भी घोषणा की है, जिसका उद्देश्य है कि H-1B प्रणाली का दुरुपयोग न हो और योग्य अमेरिकी नागरिकों के रोजगार अधिकारों की रक्षा हो। इस योजना के अंतर्गत उन नियोक्ताओं पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी जो वीज़ा नियमों का उल्लंघन करते हैं या फर्जीवाड़ा करते हैं।
श्रम मंत्री लॉरी चावेज-डीरेमर ने कहा, “प्रोजेक्ट फायरवॉल की शुरुआत से हम सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी कंपनी को H-1B वीज़ा प्रणाली के दुरुपयोग की इजाजत न मिले और उच्च-योग्यता वाली नौकरियां पहले अमेरिकियों को ही मिलें।”
इन सभी बयानों और नीतियों से स्पष्ट है कि ट्रंप सरकार H-1B वीज़ा के मौजूदा स्वरूप को पूरी तरह से पुनर्गठित करने की दिशा में बढ़ रही है। फरवरी 2026 तक जब यह नई फीस प्रणाली लागू होगी, तब तक वीज़ा प्रक्रिया में एक निर्णायक बदलाव देखने को मिल सकता है।














