
तालिबान शासित अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को पानी के लिए तरसाने की दिशा में बड़ा कदम उठा लिया है। देश के सर्वोच्च नेता मौलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने कुनार नदी पर जल्द से जल्द बांध बनाने के निर्देश दिए हैं। यह वही नदी है जो अफगानिस्तान से बहती हुई पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में प्रवेश करती है और सिंधु नदी में मिलती है। माना जा रहा है कि यह कदम भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने के बाद पाकिस्तान पर दूसरा बड़ा जल-राजनयिक प्रहार है।
अफगानिस्तान का जल-राजनैतिक कदम
अफगान सूचना मंत्रालय ने पुष्टि की है कि तालिबान प्रशासन अब कुनार नदी पर बांध निर्माण को लेकर गंभीर है और इसके लिए स्थानीय कंपनियों के साथ करार करने की तैयारी कर रहा है। उप सूचना मंत्री मुहाजेर फराही ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी कि सर्वोच्च नेता ने विदेशी निवेशकों का इंतजार करने के बजाय अफगान कंपनियों के साथ मिलकर काम शुरू करने के आदेश दिए हैं। बताया जा रहा है कि हालिया अफगान-पाक युद्ध में हुए भारी नुकसान के बाद तालिबान अब पाकिस्तान को उसकी “जल निर्भरता” की कीमत चुकाने पर मजबूर करना चाहता है।
भारत के फैसले के बाद अफगानिस्तान की बारी
गौरतलब है कि भारत ने अप्रैल 2025 में सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था, जिसके तहत वह तीन पश्चिमी नदियों — झेलम, चिनाब और सिंधु — का पानी पाकिस्तान के साथ साझा करता था। यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या के बाद उठाया गया था। अब अफगानिस्तान की ओर से उठाया जा रहा यह जल-नीति संबंधी कदम पाकिस्तान के लिए दूसरी बड़ी चोट साबित हो सकता है।
कुनार नदी: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच जीवनरेखा
कुनार नदी लगभग 480 किलोमीटर लंबी है और इसका उद्गम अफगानिस्तान के हिंदू कुश पर्वतों में ब्रोघिल दर्रे के पास होता है। यह नदी कुनार और नंगरहार प्रांतों से होकर दक्षिण की ओर बहती है और पाकिस्तान में प्रवेश कर काबुल नदी में मिल जाती है। पाकिस्तान में इसे चित्राल नदी कहा जाता है। यही नदी आगे जाकर सिंधु नदी से मिलती है और खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र के लिए सिंचाई, पेयजल और कृषि का प्रमुख स्रोत है। अगर अफगानिस्तान इस नदी पर बांध बनाता है तो पाकिस्तान के इस इलाके में जल संकट गहराना तय है।
भू-राजनीतिक असर
विशेषज्ञों का कहना है कि अफगानिस्तान का यह कदम दक्षिण एशिया में जल-राजनीति का नया अध्याय खोल सकता है। भारत पहले ही पाकिस्तान के खिलाफ जल दबाव की नीति अपना चुका है, और अब अफगानिस्तान की भागीदारी पाकिस्तान की मुश्किलें कई गुना बढ़ा सकती है। जल संसाधन सीमित होने के बावजूद पाकिस्तान का अधिकांश कृषि क्षेत्र सिंधु बेसिन पर निर्भर है, ऐसे में कुनार नदी का प्रवाह रुकना उसकी खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।














