
ग्रेटर नोएडा की पैरामाउंट गोल्फ फॉरेस्ट सोसायटी के रहने वाले कुणाल तोंगड़ ने समाज के लिए एक सराहनीय मिसाल पेश की है। कुणाल ने अपनी शादी में केवल एक रुपये स्वीकार कर दहेज प्रथा के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया। उनके बड़े भाई विशाल तोंगड़ ने बताया कि वे तीन भाई हैं और उनके पिता सतीश तोंगड़ जीवन भर दहेज के विरोधी रहे। 6 मई 2021 को कोरोना संक्रमण के कारण उनका देहांत हो गया था, लेकिन उनकी यह इच्छा थी कि उनके बेटों की शादियाँ बिना किसी दान-दहेज के हों।
विशाल बताते हैं कि पिता के निधन के महज दो दिन बाद उनका विवाह तय था। उन्होंने भी दहेज न लेने का निर्णय लिया था, लेकिन ससुराल पक्ष के लोग न मानते हुए 11 लाख रुपये का चेक दे गए। उस समय पिता की इच्छा अधूरी रह गई, लेकिन छोटे भाई कुणाल की शादी में उन्होंने इस सोच को पूरी तरह निभाने का निर्णय लिया।
30 नवंबर को कुणाल का विवाह मदनपुर खादर निवासी तेजराम बिधूड़ी की बेटी हिमांशी के साथ नोएडा सेक्टर-48 स्थित वैंकेट हॉल में संपन्न हुआ। समारोह में दहेज के तौर पर केवल एक रुपये का प्रतीकात्मक उपहार लिया गया। विशाल कहते हैं कि परिवार का सबसे छोटा भाई हर्ष चौधरी एलएलबी की पढ़ाई कर रहा है और उनकी कोशिश है कि उसकी शादी भी पूरी तरह बिना दहेज के हो।
परिवार का मानना है कि ऐसी शादियों से लड़की के परिवार पर अनावश्यक आर्थिक भार खत्म होता है। इससे सामान्य परिवार भी अपनी बेटी का विवाह सम्मानपूर्वक कर सकता है। शादी में शामिल मेहमानों ने तोंगड़ परिवार की इस पहल की खूब सराहना की और इसे समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बताया।

दूसरा उदाहरण: सिर्फ 101 रुपये लेकर की शादी, दहेज प्रथा के खिलाफ मजबूत संदेश
इसी तरह, ग्रेटर नोएडा के श्यौराजपुर गांव के रूपेश भाटी ने भी अपने बेटे की शादी बिना दहेज के कर समाज को सकारात्मक दिशा दी है। उन्होंने बेटे प्रशांत भाटी का विवाह केवल 101 रुपये के कन्यादान के साथ संपन्न कराया। 30 नवंबर को प्रशांत की शादी नोएडा सेक्टर-31 के निठारी गांव निवासी हरि अंबावता की बेटी गायत्री से हुई।
रूपेश भाटी, जो पेशे से बिल्डर हैं, बताते हैं कि वे लंबे समय से दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। इसी सोच के चलते उन्होंने पारंपरिक भात की रस्म में भी सिर्फ 101 रुपये ही स्वीकार किए। उनका कहना है कि विवाह एक पवित्र बंधन है, किसी भी प्रकार का आर्थिक लेन-देन नहीं। प्रशांत पीजीडीएम डिप्लोमा कर चुके हैं और पिता के साथ बिजनेस में हाथ बंटाते हैं।
रूपेश भाटी बताते हैं कि उनका एक बेटा और एक बेटी है, और वे चाहते हैं कि बेटी की शादी भी बिना दहेज के हो। उनके अनुसार, आर्थिक रूप से सक्षम लोगों को आगे आकर समाज में यह संदेश फैलाना चाहिए कि दहेज रूपी प्रथा को खत्म किया जा सकता है। शादी में होने वाला अनावश्यक खर्च यदि शिक्षा जैसे क्षेत्रों में लगाया जाए तो समाज और परिवार दोनों का भला हो सकता है। क्षेत्र में उनके इस कदम की खूब प्रशंसा हो रही है।














