
कांग्रेस सांसद और पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार, 10 सितंबर को अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली पहुंचे। लेकिन उनका यह दौरा विरोध प्रदर्शनों की वजह से खासा विवादों में घिर गया। जिस मार्ग से वह अपने कार्यक्रम के लिए गुजर रहे थे, वहां पहले से मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कड़ा विरोध जताया।
भाजपा नेताओं का कहना था कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को बिहार में आरजेडी और कांग्रेस की रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कथित तौर पर इस्तेमाल किए गए आपत्तिजनक शब्दों को लेकर सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए।
मंत्री दिनेश प्रताप सिंह का बयान
इस विरोध प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री और विधान परिषद सदस्य दिनेश प्रताप सिंह भी शामिल हुए। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने न केवल पीएम मोदी का अपमान किया, बल्कि उनकी मां को लेकर भी अनुचित टिप्पणी की। ऐसे शब्द किसी भी भारतीय को शर्मसार कर सकते हैं। इसलिए राहुल गांधी को तुरंत माफी मांगनी चाहिए।
दिनेश प्रताप सिंह ने यह भी मांग की कि राहुल गांधी उन कार्यकर्ताओं की निंदा करें जिन्होंने इस तरह की गाली-गलौज की और उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाएं। उन्होंने कहा, “अगर राहुल गांधी खुद ही यह कह देते कि जो हुआ गलत था और मैं उसके लिए खेद प्रकट करता हूं, तो स्थिति अलग होती। लेकिन ऐसा लगता है कि वह जानबूझकर विवाद को बढ़ाना चाहते हैं।”
सड़क पर क्यों बैठे मंत्री?
विरोध के दौरान अचानक मंत्री दिनेश प्रताप सिंह भी हाईवे के बीच बैठ गए। जब उनसे इसका कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनका मकसद सड़क जाम करना नहीं था। वे तो स्नातक चुनाव की तैयारियों को लेकर कार्यकर्ताओं से चर्चा कर रहे थे। तभी बाहर विरोध कर रहे लोगों और पुलिस के बीच कहासुनी हो गई। बीच-बचाव करते हुए उन्हें भी सड़क पर बैठना पड़ा।
“राहुल गांधी वापस जाओ” के नारे
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने “राहुल गांधी वापस जाओ” जैसे नारे जोर-शोर से लगाए। मामला रायबरेली के हरचंदपुर थाना क्षेत्र के बटोही होटल के पास का बताया जा रहा है। स्थिति बिगड़ने से रोकने के लिए मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने मंत्री दिनेश प्रताप सिंह और कार्यकर्ताओं को समझाने-बुझाने का प्रयास किया।














