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जहां-जहां उपचुनाव जीते हो, 2027 में देख लेंगे कितनी सीटें आती हैं… अखिलेश यादव ने आखिर किसे दी यह सीधी चुनौती?

अखिलेश यादव ने संसद में उपचुनावों, ईवीएम, चुनाव आयोग और बीजेपी पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए पारदर्शी चुनाव ज़रूरी हैं। रामपुर और मिल्कीपुर उपचुनाव की घटनाओं का ज़िक्र करते हुए उन्होंने 2027 में बीजेपी को खुली चुनौती दी और बैलेट पेपर की वापसी की मांग दोहराई।

Posts by : Kratika Maheshwari | Updated on: Tue, 09 Dec 2025 4:00:50

जहां-जहां उपचुनाव जीते हो, 2027 में देख लेंगे कितनी सीटें आती हैं… अखिलेश यादव ने आखिर किसे दी यह सीधी चुनौती?

संसद में बोलते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हालिया उपचुनावों, मतदान प्रक्रिया और चुनाव आयोग की भूमिका पर कई गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की प्रतिष्ठा जिन चुनावों से बनी रहती है, आज वही चुनाव प्रशासनिक दबाव और धांधली के दाग से कांप रहे हैं। उनके अनुसार, जनता का मतदान पर भरोसा अब कमजोर पड़ रहा है क्योंकि निष्पक्षता की बुनियाद हिलती दिखाई दे रही है।

अखिलेश यादव ने अपने भाषण में रामपुर उपचुनाव का विस्तृत उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जिस दिन वहां मतदान हुआ, पुलिस और प्रशासनिक टीमों ने कथित रूप से घर-घर जाकर मतदाताओं को बूथ तक जाने से रोका। उनका आरोप है कि इस बनाए गए वातावरण का सीधा लाभ भाजपा को मिला और वह पहली बार उस सीट पर विजय हासिल कर सकी।

उन्होंने कहा कि चाहे जितनी शिकायतें चुनाव आयोग को भेजी गईं, कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई। यहीं से उन्होंने बीजेपी को सीधी चुनौती देते हुए कहा— “जहां-जहां उपचुनाव जीते हो, 2027 में एक भी विधानसभा सीट जीत कर दिखा देना, तब समझूंगा जनता आपके साथ है।”

मिल्कीपुर घटना का जिक्र— ‘एक व्यक्ति ने छह बार डाला वोट

अपने संबोधन में अखिलेश यादव ने एक और घटना को सामने रखा। उन्होंने कहा कि मिल्कीपुर उपचुनाव में उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एक ऐसे व्यक्ति को रंगे हाथों पकड़ा जिसने छह बार मतदान किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि कई बार शिकायतें दी गईं, यहां तक कि एक नेता को मौके से पकड़कर संबंधित अधिकारियों को सौंपा गया, लेकिन आयोग की ओर से कोई संज्ञान नहीं लिया गया। इसी संदर्भ में उन्होंने कांग्रेस के सुझाव का समर्थन करते हुए कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की मौजूदा प्रणाली पारदर्शी नहीं है और इसमें बदलाव की सख्त जरूरत है।

ईवीएम पर फिर उठे सवाल— 'भारत को बैलेट पेपर पर लौटना चाहिए'

अखिलेश यादव ने एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि तकनीकी समस्याओं और संदेहों को देखते हुए भारत को फिर पारंपरिक बैलेट पेपर पद्धति पर लौट जाना चाहिए। उन्होंने जर्मनी का उदाहरण दिया, जहां ईवीएम से दिया गया वोट मान्य नहीं माना जाता। उनके अनुसार, यदि भारत में बैलेट सिस्टम लागू होगा तो संदेह की गुंजाइश खत्म होगी और चुनावी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बन सकेगी। सपा अध्यक्ष ने कहा— “समस्या बाहर से नहीं आती, सिस्टम के भीतर ही गड़बड़ियां होती हैं। कई जगह वोट चोरी नहीं, बल्कि वोट की डकैती हुई है।”

फर्रूखाबाद लोकसभा चुनाव की याद दिलाई

अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि फर्रूखाबाद चुनाव में नतीजों को प्रभावित करने जैसी घटनाएं हुईं, जिनकी शिकायतें उम्मीदवारों ने आधिकारिक रूप से दर्ज भी कराईं। उन्होंने यह भी दावा किया कि कई राज्यों में चुनाव के दौरान महिलाओं के खातों में पैसे भेजे गए, जो कहीं न कहीं प्रभावित मतदान की ओर इशारा करता है।

‘पारदर्शिता तभी जब सभी दलों को समान अवसर मिले’

अपने वक्तव्य के अंत में अखिलेश यादव ने कहा कि भारत में चुनाव प्रक्रिया तभी निष्पक्ष कही जा सकती है जब सभी राजनीतिक दलों को बराबरी का मंच मिले, समान संसाधन उपलब्ध हों और प्रशासन किसी एक दल के दबाव में न चले। उन्होंने कहा कि चुनाव सुधार समय की मांग है और जब तक व्यवस्था मजबूत नहीं होगी, लोकतांत्रिक भरोसा वापस नहीं आ पाएगा।

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