
तहसील क्षेत्र के ऐचोड़ा कंबोह स्थित श्री कल्कि धाम में चल रहे श्री कल्कि महोत्सव के दौरान कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने एक विवादित टिप्पणी करते हुए संसद, उसकी मर्यादा और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर कठोर प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि संसद देश की सर्वोच्च संस्था है, जिसकी प्रतिष्ठा और गरिमा बनाए रखना सभी जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है।
आचार्य प्रमोद ने भाषण के दौरान कहा कि भारत की संसद न केवल लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रतीक है, बल्कि राष्ट्र की अस्मिता और गौरव का प्रतीक भी है। उन्होंने दावा किया कि कुछ जनप्रतिनिधियों के व्यवहार और बयानों से संसद की मर्यादा को चुनौती मिलती दिखाई दे रही है। इसी संदर्भ में उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि संसद की गंभीरता और गरिमा के अनुरूप जिम्मेदार आचरण जरूरी है।
उन्होंने आगे कहा कि सनातन धर्म में सभी जीवों के कल्याण की भावना निहित है और हर प्राणी से प्रेम करने की प्रेरणा दी गई है। लेकिन उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि देश की सर्वोच्च विधायी संस्था के भीतर अनुशासन और सम्मान अनिवार्य है। उनके अनुसार, संसद के भीतर क्या आचरण होना चाहिए और क्या नहीं, इसे लेकर स्पष्ट सीमाएं तय हैं, और इन्हें तोड़ना उचित नहीं माना जा सकता।
अपने संबोधन में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में देश की संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्रीय हित सुरक्षित महसूस होते हैं। उन्होंने दावा किया कि मौजूदा सरकार राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों पर कठोर और स्पष्ट रुख रखती है।
उन्होंने आगे यह भी कहा कि भारत किसी भी परिस्थिति में देश की सुरक्षा, सीमाओं और आंतरिक स्थिरता के साथ समझौता नहीं करेगा। घुसपैठ, आतंकवाद और माओवादी गतिविधियों पर सख्त रुख अपनाने को उन्होंने आवश्यक बताया। इस दौरान उन्होंने हाल ही में मुख्य न्यायाधीश द्वारा दिए गए एक बयान का समर्थन करते हुए इसे परिस्थितियों के अनुरूप बताया।
कुल मिलाकर, श्री कल्कि महोत्सव के मंच से आचार्य प्रमोद कृष्णम का यह वक्तव्य राजनीतिक हलकों में चर्चा का कारण बना हुआ है। उनके बयान को लेकर समर्थक और आलोचक दोनों ही अपने-अपने तर्क सामने ला रहे हैं। भारत की राजनीति और संसद की मर्यादा पर उठी यह बहस आने वाले दिनों में और मुखर हो सकती है।














