
तेलंगाना के नलगोंडा जिले के देवरकोंडा मंडल स्थित एक सरकारी स्कूल से बेहद चिंताजनक मामला सामने आया है, जहां दूषित भोजन खाने से 52 छात्र बीमार हो गए। उन्हें उल्टी, दस्त और तेज पेट दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फिलहाल सभी की हालत स्थिर बताई जा रही है, लेकिन इस घटना ने स्कूल प्रशासन और छात्रावास व्यवस्था की लापरवाही को उजागर कर दिया है।
घटना रविवार की रात की बताई जा रही है जब स्कूल में रात के भोजन के दौरान छात्रों को एक ऐसी सब्जी परोसी गई, जिसे बची हुई चिकन करी में मिलाकर दोबारा तैयार किया गया था। छात्रों का कहना है कि दोपहर की पत्तागोभी की सब्जी को रात में चिकन करी में मिलाकर फिर से दिया गया, जबकि कई व्यंजन अधपके थे और नाश्ता भी ठीक से तैयार नहीं किया गया था।
रविवार को छात्रों को दिए गए खाने के बाद ही कई छात्रों ने पेट दर्द और उल्टी की शिकायत की थी, लेकिन रातभर यह बात स्कूल प्रशासन तक नहीं पहुंच पाई। सोमवार सुबह जब बच्चों की तबीयत और बिगड़ने लगी, तब आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
408 में से 310 छात्र थे उपस्थित, 52 पड़े बीमार
हादसे के दिन स्कूल में कुल 408 नामांकित छात्रों में से 310 छात्र उपस्थित थे। यह संख्या अपेक्षाकृत कम थी क्योंकि शनिवार और रविवार की छुट्टियों के कारण कई छात्र घर गए हुए थे। लेकिन जिन छात्रों ने यह दूषित खाना खाया, उनमें से 52 की हालत इतनी बिगड़ी कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
अभिभावकों का आक्रोश, कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप
घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन हरकत में आया। आरडीओ रमण रेड्डी, तहसीलदार मधुसूदन रेड्डी और एमपीडीओ एसडी डैनियल ने तुरंत छात्रावास और उस अस्पताल का दौरा किया जहां छात्रों का इलाज किया जा रहा है। अधिकारियों ने पुष्टि की कि सभी छात्र खतरे से बाहर हैं लेकिन मामले की गहन जांच की जा रही है।
इस घटना के बाद अभिभावकों में भारी रोष देखने को मिला। कई अभिभावकों ने स्पष्ट रूप से स्कूल कर्मचारियों और शिक्षकों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि छात्रावास में साफ-सफाई और भोजन की गुणवत्ता की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, और यह प्रशासनिक विफलता बच्चों की जान पर भारी पड़ सकती थी।
क्या थी चूक?
—भोजन अधपका और पुनः उपयोग किया गया था।
—रात में छात्रों की हालत बिगड़ने पर कोई चिकित्सकीय निगरानी नहीं हुई।
—रसोई और भोजन वितरण में गुणवत्ता मानकों की घोर अवहेलना हुई।
—छात्रों की शिकायतों को रात में गंभीरता से नहीं लिया गया।
जांच और सख्त कार्रवाई की मांग
अभिभावकों के साथ-साथ कई स्थानीय संगठनों ने भी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि अगर इस बार केवल हल्की तबीयत बिगड़ी है तो अगली बार यह बड़ी त्रासदी का रूप भी ले सकती है। खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता प्रोटोकॉल की तत्काल समीक्षा और पुनर्स्थापना की आवश्यकता बताई जा रही है।
यह घटना सिर्फ एक स्कूल की नहीं है, बल्कि यह पूरे राज्य में छात्रावासों और शैक्षणिक संस्थानों में भोजन व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करती है। शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है – उसमें बच्चों का स्वास्थ्य, सुरक्षा और समुचित देखभाल भी शामिल है। इस तरह की लापरवाही न सिर्फ प्रशासन की विफलता है, बल्कि यह आने वाले समय में विद्यार्थियों और अभिभावकों के विश्वास को भी चोट पहुंचाती है।














