देश की प्रमुख मीडिया कंपनियों में शुमार सन टीवी नेटवर्क को लेकर मारन बंधुओं के बीच गहराता पारिवारिक विवाद अब सार्वजनिक हो गया है। डीएमके सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन ने अपने बड़े भाई कलानिधि मारन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कानूनी नोटिस भेजा है। उन्होंने सन टीवी पर "धोखाधड़ीपूर्ण तरीके से नियंत्रण" हासिल करने का आरोप लगाया है। यह मामला 2003 के उस विवादास्पद शेयर अलॉटमेंट से जुड़ा है, जिसके जरिए कलानिधि मारन ने कंपनी में बहुमत हिस्सेदारी प्राप्त कर ली थी।
दयानिधि का दावा है कि सितंबर 2003 में, कलानिधि ने उचित मूल्यांकन, बोर्ड अनुमोदन या शेयरधारकों की मंजूरी के बिना खुद को 1.2 मिलियन इक्विटी शेयर अलॉट कर लिए। इन शेयरों की अंकित कीमत भले 10 रुपये प्रति शेयर थी, लेकिन दयानिधि के अनुसार, उस वक्त उनकी वास्तविक बाजार कीमत लगभग 3,500 करोड़ रुपये थी। यह उस समय हुआ जब सन टीवी एक लाभदायक और नकदी-समृद्ध निजी लिमिटेड कंपनी थी। इस अलॉटमेंट के जरिए कलानिधि ने कंपनी में करीब 60 प्रतिशत हिस्सेदारी पर कब्जा कर लिया। दयानिधि ने यह भी आरोप लगाया है कि यह सब एम. करुणानिधि की पत्नी एम.के. दयालु जैसे अन्य पारिवारिक हितधारकों की जानकारी या सहमति के बिना किया गया।
सन टीवी का जवाब—"22 साल पुराना मामला, कानूनी प्रक्रिया का पालन हुआ"
इन आरोपों के सामने आने के एक दिन बाद, सन टीवी नेटवर्क ने शुक्रवार को औपचारिक स्पष्टीकरण जारी करते हुए आरोपों को पूरी तरह खारिज किया। कंपनी ने कहा कि 22 साल पहले हुआ यह समझौता पूरी तरह से विधिक दायरे में हुआ था और कंपनी के सार्वजनिक निर्गम (IPO) से पहले इसमें शामिल सभी दस्तावेज और प्रक्रियाएं विधिवत जांच के अधीन थीं। कंपनी ने कहा कि ये आरोप मनगढंत, अपमानजनक और अटकलों पर आधारित हैं, जिनका न तो कानून से कोई समर्थन है और न ही तथ्यात्मक साक्ष्य से।
सन टीवी ने इस मामले को एक पारिवारिक विवाद बताते हुए कहा कि इसका कंपनी के रोजमर्रा के कामकाज या बिजनेस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह पूरी तरह से निजी मामला है और कंपनी के हितों से इसका कोई संबंध नहीं है।
अगर विवाद अदालत में पहुंचा, तो क्या होगा?
विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर यह मामला अदालत में पहुंचता है तो यह केवल मारन बंधुओं के बीच का पारिवारिक झगड़ा नहीं रह जाएगा, बल्कि इससे देश की एक बड़ी मीडिया कंपनी का नियंत्रण संकट में आ सकता है। यह विवाद डीएमके से जुड़े दो प्रमुख परिवारों—मारन और दिवंगत मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के परिवार—के बीच भी असहमति की रेखाएं खींच सकता है।
कहा जा रहा है कि अगर दयानिधि मारन अपनी मांगों पर अड़े रहते हैं और अदालत इस मामले को सुनवाई के योग्य मानती है, तो सन टीवी की शेयरहोल्डिंग स्ट्रक्चर, बोर्ड की जिम्मेदारियां और प्रमोटर हिस्सेदारी की वैधता को लेकर व्यापक कानूनी जांच की जा सकती है, जिससे कंपनी की छवि और संचालन दोनों प्रभावित हो सकते हैं।