
भीलवाड़ा जिले में आयोजित कार्यक्रम के दौरान जिला कांग्रेस देहात अध्यक्ष और राजस्थान के पूर्व राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने केंद्र सरकार की नीतियों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि मौजूदा फैसले लोकतंत्र की मूल भावना, संविधान की गरिमा और श्रमिक वर्ग के अधिकारों पर सीधा आघात हैं। जाट ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की कार्यशैली में जनहित के बजाय तानाशाही सोच हावी होती जा रही है, जो देश के लिए घातक संकेत है।
पूर्व मंत्री ने अरावली पर्वतमाला और सरिस्का क्षेत्र में खनन को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अरावली राजस्थान की जीवन रेखा है, जो प्रदेश के पर्यावरण और वर्षा चक्र को संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाती है। यदि इस पर्वतमाला को नुकसान पहुंचाया गया, तो राजस्थान धीरे-धीरे रेगिस्तान में तब्दील हो सकता है। जाट ने कहा कि अरावली का विनाश केवल पर्यावरणीय संकट नहीं है, बल्कि यह मानवता के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है। ऐसे फैसले अप्रत्यक्ष रूप से देश को कमजोर करने वाले तत्वों को फायदा पहुंचाते हैं।
मनरेगा के नाम परिवर्तन पर जताया कड़ा विरोध
रामलाल जाट ने अपने संबोधन में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का नाम बदलने के फैसले पर भी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि यह महज नाम बदलने का मामला नहीं है, बल्कि इसके जरिए ग्रामीण गरीबों और मजदूरों के अधिकारों को धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिश की जा रही है। जाट ने आरोप लगाया कि यह फैसला सामाजिक न्याय और ग्रामीण सशक्तिकरण की भावना के विपरीत है।
उन्होंने यह भी कहा कि पहले मनरेगा की कार्ययोजना ग्राम पंचायत स्तर पर बनाई जाती थी, जिससे स्थानीय जरूरतों के अनुरूप रोजगार और विकास के कार्य तय होते थे। लेकिन अब केंद्र सरकार ने पंचायतों से यह अधिकार छीनकर ऊपर से योजनाएं थोपनी शुरू कर दी हैं। जाट के अनुसार, यह कदम लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण के सिद्धांत के खिलाफ है और गांवों की आत्मनिर्भरता को कमजोर करता है।
नुक्कड़ नाटक से किया विरोध दर्ज
कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से मनरेगा के नाम परिवर्तन और अधिकारों में कटौती के संभावित दुष्परिणामों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। नाटक के जरिए यह दिखाया गया कि कैसे ऐसे फैसलों से ग्रामीण मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट गहराता है। प्रदर्शन स्थल पर “काले कानून वापस लो” और “नरेगा बहाल करो” जैसे नारों से माहौल गूंज उठा।
इस अवसर पर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी मंच पर मौजूद रहे। इनमें अक्षय त्रिपाठी, कैलाश व्यास, अनिल डांगी, मधु जाजू, हेमेंद्र शर्मा, राजेंद्र त्रिवेदी, ओमप्रकाश नाराणीवाल, हगामीलाल मेवाड़ा और ज्ञानमेल खटीक प्रमुख रूप से शामिल थे।
कार्यक्रम के समापन पर सभी वक्ताओं ने एक स्वर में केंद्र सरकार से जनविरोधी निर्णय वापस लेने की मांग की। उन्होंने मनरेगा को उसके मूल स्वरूप में बहाल करने और पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की अपील की। साथ ही ढोल-झालर बजाकर यह चेतावनी दी गई कि यदि सरकार ने जनता की आवाज नहीं सुनी, तो आंदोलन को और अधिक तेज और व्यापक रूप दिया जाएगा।













