
नीरजा मोदी स्कूल के खिलाफ CBSE द्वारा सीनियर सेकेंडरी स्तर तक मान्यता रद्द किए जाने के बावजूद दिवंगत छात्रा अमायरा का परिवार इस फैसले से पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। परिजनों ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के कदम का स्वागत जरूर किया है, लेकिन उनका कहना है कि यह कार्रवाई अधूरी है। परिवार अब राजस्थान शिक्षा विभाग और पुलिस से भी स्कूल के खिलाफ कठोर कदम उठाने की मांग कर रहा है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं।
CBSE के फैसले पर जताया आभार, लेकिन नाराजगी बरकरार
अमायरा के परिजनों ने कहा कि इस पूरे मामले में अब तक CBSE ही पहला ऐसा संस्थान है जिसने ठोस कार्रवाई की है, जिसके लिए वे बोर्ड का आभार व्यक्त करते हैं। हालांकि, उनका मानना है कि स्कूल केवल कक्षा 9 से 12 तक ही नहीं, बल्कि कक्षा 1 से 8 तक भी संचालित होता है और वह एक गैर-सरकारी संस्थान है। ऐसे में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के स्कूलों की मान्यता राजस्थान शिक्षा विभाग (निदेशालय प्रारंभिक शिक्षा) और राजस्थान सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1958 के अंतर्गत आती है। इसी वजह से अब परिवार की नजरें राजस्थान शिक्षा विभाग पर टिकी हैं कि वह CBSE की कार्रवाई के बाद क्या रुख अपनाता है।
दिल्ली से कार्रवाई संभव, तो राजस्थान क्यों पीछे?
परिजनों का तर्क है कि यदि कोई स्कूल कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिए सुरक्षित नहीं पाया गया है, तो वह कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने वाले बच्चों के लिए भी सुरक्षित कैसे हो सकता है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब दिल्ली में बैठा एक केंद्रीय बोर्ड कार्रवाई कर सकता है, तो राजस्थान का शिक्षा विभाग क्यों चुप है। इसके साथ ही परिवार ने पुलिस से भी इस मामले में निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई करने की मांग की है, ताकि दोषियों को जवाबदेह ठहराया जा सके।
क्या है अमायरा सुसाइड मामला
गौरतलब है कि 9 वर्षीय अमायरा जयपुर स्थित नीरजा मोदी स्कूल में कक्षा चार की छात्रा थी। 1 नवंबर 2025 को उसने स्कूल की चौथी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। इस हृदयविदारक घटना ने न सिर्फ जयपुर बल्कि पूरे राजस्थान के अभिभावकों को झकझोर कर रख दिया। घटना का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया था, जिसमें अमायरा को चौथी मंजिल से कूदते हुए देखा गया।
परिजनों ने स्कूल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि घटना के बाद सबूत मिटाने की कोशिश की गई, प्रशासन ने सहयोग नहीं किया और बच्ची को लंबे समय से मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था। उनका दावा है कि वे पिछले करीब एक साल से स्कूल प्रबंधन से शिकायतें कर रहे थे, लेकिन उनकी बात को लगातार नजरअंदाज किया गया। इसी कारण परिवार अब इस मामले में व्यापक और निर्णायक कार्रवाई की मांग पर अड़ा हुआ है।













