मंगलवार को घरेलू शेयर बाजार में जोरदार गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों को बड़ा झटका लगा। बीएसई सेंसेक्स 636.24 अंकों की गिरावट के साथ 80,737 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 174.1 अंक टूटकर 24,542.50 पर आ गया। बैंकिंग सेक्टर भी इस दबाव से अछूता नहीं रहा, और निफ्टी बैंक 303.45 अंकों की गिरावट के साथ 55,599.95 पर बंद हुआ।
इस गिरावट की प्रमुख वजहें कमजोर वैश्विक संकेत, कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि, और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की भारी बिकवाली रहीं। बीते दो सत्रों में FPI ने भारतीय बाजार से करीब ₹9,000 करोड़ की निकासी की है। इसके साथ ही अमेरिकी बॉन्ड यील्ड्स में तेजी और घरेलू इक्विटी का ऊंचा वैल्यूएशन भी निवेशकों को सतर्क बनाए हुए है।
विश्लेषकों का मानना है कि निफ्टी 50 का पीई अनुपात इसके एक साल के औसत से ऊपर चल रहा है, जिससे वैल्यूएशन को लेकर चिंता बढ़ी है। वहीं अमेरिका में ट्रंप की संभावित टैरिफ नीति और रूस-यूक्रेन युद्ध में हालिया घटनाओं ने भू-राजनीतिक तनाव को और भड़काया है। रूस के सैन्य एयरबेस पर यूक्रेनी हमलों के बाद स्थिति और संवेदनशील हो गई है।
हालांकि, इस नकारात्मक माहौल में भी कुछ सेक्टरों ने मजबूती दिखाई। मॉनसून की अच्छी शुरुआत ने एग्री-बेस्ड कंपनियों का सेंटिमेंट बेहतर किया, जिससे उर्वरक शेयरों में तेजी आई। कोचीन शिपयार्ड और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स के शेयरों में लगभग 6% की उछाल देखी गई। साथ ही निफ्टी रियल्टी इंडेक्स में भी 1% की बढ़त रही।
लेकिन कुल मिलाकर बाजार पर ग्लोबल अनिश्चितताओं, ऊंचे वैल्यूएशन और निवेशकों की सतर्कता का दबाव हावी रहा, जिससे व्यापक बिकवाली का माहौल बना रहा।