
कर्नाटक में कांग्रेस नेता और मंत्री प्रियांक खड़गे द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर प्रतिबंध लगाने की मांग ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। भाजपा ने इस बयान की तीखी आलोचना की है, वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने इसे केवल पब्लिसिटी स्टंट बताया। फड़णवीस ने कहा कि “इंदिरा गांधी ने भी आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें सत्ता छोड़नी पड़ी थी।”
फड़णवीस का कड़ा रुख
अमरावती में पत्रकारों से बातचीत के दौरान फड़णवीस ने स्पष्ट किया कि प्रियांक खड़गे जैसे नेताओं के बयान सिर्फ चर्चा में बने रहने का तरीका हैं। उन्होंने कहा, “ऐसे बयान सिर्फ प्रचार के लिए होते हैं। आरएसएस एक देशभक्ति संगठन है और उनके काम देश की एकता के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रियांक खड़गे की राजनीति पूरी तरह उनके पिता, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर निर्भर है। इसलिए इसे गंभीरता से लेने की कोई जरूरत नहीं है।”
फड़णवीस ने यह भी कहा कि ऐसे नेताओं के बयान पर जवाब देना भी आवश्यक नहीं है, क्योंकि यह केवल मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया जाता है।
प्रियांक खड़गे ने क्या कहा था?
कर्नाटक सरकार में आईटी और पंचायती राज मंत्री प्रियांक खड़गे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर राज्य में आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस की गतिविधियां भारत की एकता और धर्मनिरपेक्ष संरचना के खिलाफ हैं।
खड़गे ने अपने पत्र में कहा कि आरएसएस सरकारी स्कूलों, सार्वजनिक मैदानों, मंदिरों, पुरातत्व स्थलों, पार्कों और अन्य सरकारी परिसरों में शाखाएं और गतिविधियां चला रहा है। उनके अनुसार, ये गतिविधियां बच्चों और युवाओं के मन में नकारात्मक विचार डाल रही हैं, जो संविधान और देश के नैतिक मूल्यों के खिलाफ हैं।
भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया
प्रियांक खड़गे के बयान के बाद भाजपा के कई नेताओं ने मोर्चा खोल दिया। पार्टी प्रवक्ताओं ने इसे कांग्रेस की वोट बैंक और पब्लिसिटी राजनीति बताया। उनका कहना है कि कांग्रेस पुराने तरीकों को दोहरा रही है और हिंदू संगठनों को निशाना बना रही है।
सियासी माहौल और भविष्य
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला आने वाले दिनों में और गर्म हो सकता है। भाजपा इसे देशभक्ति के अपमान के रूप में देख रही है, जबकि कांग्रेस इसे धर्मनिरपेक्षता और एकता की रक्षा का मुद्दा बता रही है।














