
2006 के मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस में बड़ा मोड़ आया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी 12 दोषियों की सजा को रद्द कर उन्हें निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया है। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सरकार से तीखे सवाल किए हैं। उन्होंने पूछा कि क्या अब महाराष्ट्र एटीएस के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी, जिनकी लापरवाह जांच के चलते 12 निर्दोष लोग 18 साल जेल में रहे और अपना कीमती जीवन गंवा बैठे?
गौरतलब है कि निचली अदालत ने इन 12 लोगों को दोषी मानते हुए 5 को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने अब इस फैसले को पलटते हुए उन्हें पूरी तरह से दोषमुक्त घोषित किया है। इन 12 आरोपियों में से एक की 2022 में कोविड के चलते जेल में ही मौत हो गई थी।
ओवैसी का आरोप- निर्दोषों को जेल भेज दिया गया, जीवन की दोपहर वहीं बीत गई
ओवैसी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा कर कहा कि इन 12 लोगों को बिना अपराध के जेल में डाल दिया गया, और जब सालों बाद रिहा किया गया तो उनकी जिंदगी के सुनहरे पल जेल की सलाखों में ही बर्बाद हो चुके थे। उन्होंने यह भी कहा कि इनमें से कई आरोपी 17 साल से अधिक समय से जेल में बंद थे, और किसी को भी एक दिन की भी रिहाई नहीं मिली।
पुलिस का रवैया मीडिया जैसा, पहले दोषी ठहरा देते हैं फिर पीछे हटते हैं
ओवैसी ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जनआक्रोश वाले मामलों में पुलिस पहले से ही तय कर लेती है कि कौन दोषी है, और फिर उसी दिशा में जांच की जाती है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपराधियों की छवि बना दी जाती है, और मीडिया की कवरेज से ही फैसला तय हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की लापरवाह जांच एजेंसियों ने आतंकी मामलों में देश को बार-बार निराश किया है।
18 साल तक कैद में रहे 12 मुस्लिम युवक, अब अदालत ने कहा- बेगुनाह हैं
ओवैसी ने बताया कि इन 12 मुस्लिम पुरुषों ने वो सजा भुगती जो उन्होंने कभी की ही नहीं। उन्होंने कहा कि इनके जीवन के सुनहरे वर्ष जेल में ही गुजर गए। इस दौरान इनमें से कई लोगों ने अपने करीबी परिजनों को खो दिया। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि फैसल और मुजम्मिल को उम्रकैद की सजा मिलने की खबर से उनके पिता को हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई। फिर 2023 में उनकी मां की भी मृत्यु हो गई। वहीं, मोहम्मद माजिद की पत्नी की मौत उस वक्त हुई जब वह अपने पति से आखिरी बार बात तक नहीं कर सकी थीं।
2006 ब्लास्ट में 189 लोगों की मौत, 824 घायल
बता दें कि जुलाई 2006 में मुंबई लोकल ट्रेन में 7 जगह बम धमाके हुए थे, जिसमें 189 लोगों की जान गई थी और 824 लोग घायल हो गए थे। इसके बाद 2015 में स्पेशल कोर्ट ने 12 लोगों को दोषी ठहराकर सजा सुनाई थी, जिसे अब हाईकोर्ट ने खारिज कर सभी को दोषमुक्त करार दिया है।














