
महाराष्ट्र में साइबर अपराध की दुनिया से जुड़ा अब तक का सबसे बड़ा 'डिजिटल अरेस्ट' स्कैम सामने आया है। राज्य के साइबर विभाग ने इस हाई-प्रोफाइल ठगी का पर्दाफाश करते हुए 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह घोटाला सिर्फ पैसों का ही नहीं, बल्कि साइबर तकनीक, मनोवैज्ञानिक दबाव और नकली कानूनी जाल का भी संगठित खेल था, जिसे योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया।
जाल में फंसाया गया एक शिक्षित कारोबारी
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) यशस्वी यादव के अनुसार, इस मामले में पीड़ित एक पढ़ा-लिखा और सम्मानित व्यक्ति है, जो एक फार्मा कंपनी का संस्थापक है। ठगों ने उसे विश्वास में लेने के लिए ऐसा माहौल तैयार किया जिसमें उसे लगा कि वह किसी गंभीर कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहा है। ठगों ने पुलिस थाने, अदालत और सरकारी अधिकारियों की पहचान से मिलते-जुलते फर्जी सेटअप तैयार किए। वीडियो कॉल, नकली सम्मन और कानूनी भाषा का इस्तेमाल करते हुए यह जाल करीब 40 दिनों तक बुना गया।
बैंक खातों का जाल और ₹58 करोड़ की ठगी
इस दौरान पीड़ित से लगातार संपर्क रखा गया और उसे डिजिटल तरीकों से 'अरेस्ट' जैसा माहौल महसूस कराया गया। ठगों ने उसे डराकर कुल ₹58 करोड़ की रकम ट्रांसफर करवा ली। अंतिम ट्रांजैक्शन 29 सितंबर को हुआ, जिसके बाद पीड़ित ने यह बात अपने कुछ करीबी लोगों को बताई। मानसिक आघात के कारण वह 11 दिनों तक साइबर विभाग से संपर्क भी नहीं कर पाया।
साइबर टीम की सक्रियता से रुकी और ठगी
शिकायत मिलते ही महाराष्ट्र साइबर विभाग हरकत में आया और तुरंत 6 हजार से अधिक बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया। अब तक विभाग करीब ₹4 करोड़ की रकम वापस दिलाने में सफल रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए 9 विशेष टीमें गठित की गई हैं, जो लगातार जांच में जुटी हैं।
देश में बढ़ते डिजिटल अरेस्ट के मामले
एडीजी यादव ने बताया कि यह देश में अब तक का सबसे बड़ा 'डिजिटल अरेस्ट' घोटाला है। इस साल अब तक केवल महाराष्ट्र में ही ऐसे 3,000 से ज्यादा मामलों की शिकायतें मिली हैं, जिनमें से कई की जांच पूरी हो चुकी है। उन्होंने चेतावनी दी कि साइबर अपराधी अब सिर्फ तकनीक ही नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक हथकंडों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे सतर्क रहना जरूरी है।
बैंकों को गाइडलाइंस सुधारने की ज़रूरत
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह भी कहा गया कि इस तरह की घटनाएं तभी रोकी जा सकती हैं जब बैंकिंग सिस्टम और मजबूत हो। इसीलिए अब आरबीआई और अन्य बैंकों के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की जा रही है, जिससे समय रहते ऐसे लेन-देन को रोका जा सके।
महाराष्ट्र में उजागर हुआ यह 'डिजिटल अरेस्ट' घोटाला न सिर्फ एक आर्थिक अपराध है, बल्कि यह इस बात की चेतावनी भी है कि अब साइबर ठग तकनीक के साथ-साथ आपकी मानसिक स्थिति और सामाजिक स्थिति को भी निशाना बना रहे हैं। ऐसे में जागरूकता, सतर्कता और तकनीकी सुरक्षा ही इस खतरे से बचाव का एकमात्र रास्ता है।














