शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार ने गिरावट के साथ सप्ताह का समापन किया। कमजोर वैश्विक संकेतों, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और ईरान-इजरायल तनाव जैसे भू-राजनीतिक कारणों ने बाजार की चाल पर असर डाला। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई, जबकि बैंकिंग और ऑटो शेयरों पर सबसे ज्यादा दबाव बना रहा।
मुंबई स्थित बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) शुक्रवार के कारोबारी सत्र में गिरावट के साथ बंद हुए। बीएसई सेंसेक्स 573.38 अंक या 0.70% की गिरावट के साथ 81,118.60 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 169.60 अंक या 0.68% की कमजोरी के साथ 24,718.60 पर आ गया।
बाजार में गिरावट का मुख्य नेतृत्व बैंकिंग शेयरों ने किया। निफ्टी बैंक इंडेक्स 555.20 अंक या 0.99% की गिरावट के साथ 55,527.35 पर बंद हुआ। इसके अलावा ऑटो, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी, मेटल और एनर्जी सेक्टर भी लाल निशान में बंद हुए। केवल आईटी, रियल्टी और मीडिया इंडेक्स में हल्की बढ़त देखने को मिली।
लार्जकैप शेयरों के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी दबाव देखने को मिला। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 213 अंक की गिरावट के साथ 58,227.45 और स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 90 अंक गिरकर 18,374 पर बंद हुआ।
शुक्रवार को शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच कुछ कंपनियों के शेयरों ने बेहतर प्रदर्शन किया। सेंसेक्स पैक में टेक महिंद्रा, टीसीएस, मारुति सुजुकी और सन फार्मा के शेयरों में बढ़त दर्ज की गई, जो पूरे सत्र के दौरान निवेशकों के बीच विश्वास को दर्शाता है।
दूसरी ओर, बाजार में बिकवाली के दबाव के चलते कई दिग्गज कंपनियों के शेयर फिसलते नजर आए। आईसीआईसीआई बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी बैंक, टाइटन, कोटक महिंद्रा बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, पावर ग्रिड, बजाज फिनसर्व और हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसे बड़े शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। इन कंपनियों पर कमजोर वैश्विक संकेतों, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और भू-राजनीतिक तनावों का सीधा असर देखने को मिला।
विश्लेषकों की राय
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज में रिसर्च प्रमुख विनोद नायर ने बाजार में आई गिरावट को वैश्विक संकेतों और एफआईआई (FIIs) द्वारा की गई बिकवाली का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि ईरान और इजरायल के बीच बढ़े तनाव के कारण बाजार में अनिश्चितता बढ़ी है।
उन्होंने यह भी बताया कि ब्रेंट क्रूड की कीमतें 76 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं, जो इस वर्ष का उच्चतम स्तर है। इससे भारत जैसी आयात-निर्भर अर्थव्यवस्थाओं पर मुद्रास्फीति का खतरा मंडरा रहा है। इसके अलावा, सोने में निवेश की प्रवृत्ति बढ़ना बाजार में 'सेफ हैवेन' एसेट्स की ओर झुकाव को दर्शाता है।
प्रारंभिक कारोबार में भी रही कमजोरी
शुक्रवार सुबह ही बाजार ने कमजोर शुरुआत की थी। सुबह 9:33 बजे सेंसेक्स 896.5 अंक की गिरावट के साथ 80,795.44 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 278.5 अंक गिरकर 24,609.70 पर पहुंच गया था।