
मुंबई। गुरुवार सुबह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोना और चांदी दोनों ही गिरावट के साथ कारोबार करते नज़र आए। बीते कारोबारी सत्र में दोनों कीमती धातुएं रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुकी थीं, जिसके बाद निवेशकों ने मुनाफावसूली का रास्ता अपनाया। शुरुआती कारोबार में दिसंबर वायदा सोना 0.34 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,22,789 रुपए प्रति 10 ग्राम पर था, जबकि दिसंबर वायदा चांदी 0.75 प्रतिशत टूटकर 1,48,738 रुपए प्रति किलोग्राम पर आ गई। बुधवार को एमसीएक्स पर दिसंबर अनुबंध सोना 1,23,450 रुपए प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था, वहीं चांदी ने 1,50,282 रुपए प्रति किलोग्राम का नया शिखर छुआ था।
इस वर्ष की शुरुआत से अब तक सोने की कीमतों में लगभग 50 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की जा चुकी है। घरेलू बाजार में सोने की मांग लगातार बढ़ रही है, जिसका असर कीमतों में भी देखने को मिल रहा है। वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में संभावित कटौती की उम्मीदें और कमजोर डॉलर ने कीमती धातुओं को मजबूत समर्थन दिया है। इसके साथ ही केंद्रीय बैंकों द्वारा लगातार सोने की खरीद और गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETF) में बढ़ते निवेश ने भी बाजार को बल दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में सोने और चांदी की कीमतों में अस्थायी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से तेजी की संभावना बनी हुई है। उनका अनुमान है कि वर्ष 2025 के अंत तक सोना 1,25,000 रुपए प्रति 10 ग्राम का स्तर पार कर सकता है, जबकि चांदी 1,55,000 से 1,60,000 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच रह सकती है, बशर्ते अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में एक या दो बार कटौती करे और डॉलर दबाव में बना रहे।
अंतरराष्ट्रीय बाजार की बात करें तो निवेशकों द्वारा सुरक्षित निवेश साधन की तलाश ने सोने को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। नीतिगत अस्थिरता और कई देशों में आर्थिक संकट की स्थिति के चलते सोना 4,000 डॉलर प्रति औंस के ऊपर निकल गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में करीब 53 प्रतिशत की बढ़त को दर्शाता है।
फ्रांस और जापान में जारी राजनीतिक अस्थिरता ने डॉलर इंडेक्स को 98.90 के स्तर तक पहुंचा दिया है, जिससे कमोडिटी बाजार में दबाव बढ़ा है। इस बीच, डोनाल्ड ट्रंप द्वारा युद्धविराम से जुड़ी प्रगति की घोषणा और अपेक्षा से अधिक तेल भंडार के चलते कच्चे तेल की कीमतों में भी 0.67 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे यह 62.13 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।














