
उज्जैन का बेगम बाग इलाका इन दिनों प्रशासनिक कार्रवाई की वजह से सुर्खियों में है। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर से सटे इस क्षेत्र में गुरुवार सुबह से बुलडोजर गरजते नजर आए। मुस्लिम बहुल इस इलाके में मौजूद 11 अवैध भवनों को तोड़ा गया। चौंकाने वाली बात यह रही कि यह कार्रवाई शांतिपूर्वक संपन्न हुई और किसी तरह का विरोध सामने नहीं आया।
कैसे शुरू हुआ मामला?
यह पूरी जमीन उज्जैन विकास प्राधिकरण (UDA) की है। वर्ष 1985 में यहां करीब 30 भूखंड 30 साल की लीज पर केवल आवासीय उपयोग के लिए आवंटित किए गए थे। लेकिन धीरे-धीरे भूखंड धारकों ने नियम तोड़ते हुए इनका इस्तेमाल व्यावसायिक कार्यों में करना शुरू कर दिया। 2014-15 में लीज की अवधि खत्म हुई और उसका नवीनीकरण भी नहीं कराया गया।
प्राधिकरण की ओर से कई बार नोटिस दिए गए, लेकिन भवन मालिक न्यायालय चले गए। लोअर कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट और अंततः सुप्रीम कोर्ट तक सभी जगह उन्हें राहत नहीं मिली। स्टे आदेश रद्द होने के बाद प्रशासन ने अब सख्त रुख अपनाते हुए कार्रवाई शुरू की है।
सुबह 9 बजे से ऑपरेशन शुरू
कार्रवाई सुबह 9 बजे भारी पुलिस बल की मौजूदगी में शुरू हुई। इलाके की संवेदनशीलता को देखते हुए करीब 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी, सीएसपी, टीआई और अन्य अधिकारी तैनात किए गए थे। प्रशासन की ओर से भी विकास प्राधिकरण के सीईओ, नगर निगम अधिकारी, तहसीलदार, पटवारी और बड़ी संख्या में कर्मचारी मौके पर मौजूद रहे।
पिछले तीन महीनों में यहां 13 इमारतों को पहले ही जमींदोज किया जा चुका है, तब विरोध जरूर हुआ था। लेकिन इस बार प्रभावित मकान मालिकों को न्यायालय के फैसले और प्रक्रिया के बारे में समझा दिया गया था। नतीजतन वे खुद मकान खाली करने लगे और कार्रवाई बिना किसी हंगामे के चलती रही।
किस वजह से तोड़े गए मकान?
UDA का कहना है कि लीज की शर्तों के उल्लंघन और नवीनीकरण न होने की वजह से यह कदम उठाना पड़ा। भूखंड आवासीय उपयोग के लिए दिए गए थे, मगर उन्हें व्यावसायिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। यही कारण है कि कोर्ट से स्टे हटते ही कार्रवाई तेज कर दी गई।
कितनी इमारतें अभी बाकी?
बेगम बाग इलाके में 30 भूखंडों पर करीब 2400 वर्गफीट के बड़े प्लॉट दिए गए थे। लेकिन इनका विभाजन कर करीब 65 इमारतें खड़ी कर दी गईं। अभी तक 24 इमारतें ढहाई जा चुकी हैं और बाकी 41 पर भी कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद बुलडोजर चलना तय है।
आज ढहाए गए 11 भवन किसके थे?
आज जिन 11 इमारतों को गिराया गया, वे भूखंड क्रमांक 15, 18, 29, 59 और 65 पर बनी हुई थीं। इनका स्वामित्व शेर बानो नागौरी, मोहम्मद अकरम, शहीदुर रहमान, सरफराज, मुबारिक, मोहम्मद तौसीब, अब्दुल लतीफ, सैय्यद कमर अली, मोहम्मद सिद्दीकी कुरेशी, नासिर अली और मोहम्मद सलीम के नाम पर था।
प्राधिकरण का आधिकारिक बयान
UDA के सीईओ संदीप कुमार सोनी ने बताया, “माननीय न्यायालय से स्टे खारिज होने के बाद ही यह कार्रवाई की गई है। भूखंड केवल आवासीय उपयोग के लिए दिए गए थे, लेकिन उन्हें व्यावसायिक रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था। साथ ही लीज की अवधि खत्म होने के बाद उसका नवीनीकरण भी नहीं हुआ। इन कारणों से अवैध निर्माण हटाना आवश्यक था।”














