
देशभर में क्रिसमस की रौनक देखते ही बन रही है। चर्चों से लेकर बाजारों तक उत्सव का माहौल है और लोग सजावट व खरीदारी में जुटे हैं। इसी बीच केरल से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने त्योहार की खुशियों के बीच राजनीतिक बहस छेड़ दी है। यहां क्रिसमस के मौके पर बियर की खाली बोतलों से तैयार किया गया एक क्रिसमस ट्री विवाद का कारण बन गया है।
यह मामला केरल के त्रिशूर जिले के गुरुवायूर नगर परिषद से जुड़ा है, जहां AKG मेमोरियल के पास खाली बियर की बोतलों से बना क्रिसमस ट्री लगाया गया। जैसे ही इसकी तस्वीरें सामने आईं, राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ (UDF) ने इस पहल का विरोध करते हुए इसे सामाजिक मूल्यों के खिलाफ बताया और कहा कि इससे समाज में गलत संदेश जा सकता है।
नगर परिषद की बैठक में उठा मुद्दा, बढ़ा सियासी टकराव
स्थानीय निकाय चुनाव के बाद गुरुवायूर नगर परिषद की रविवार को पहली बैठक हुई थी। इसी बैठक के दौरान कांग्रेस पार्षद बशीर पूकोडे ने बियर की बोतलों से बने क्रिसमस ट्री पर सवाल उठाए। उनके इस मुद्दे को उठाते ही परिषद में तीखी बहस शुरू हो गई। कुछ ही देर में कांग्रेस नेता जॉय चेरियन और एंटो थॉमस भी इस विरोध में शामिल हो गए। विपक्षी नेताओं का कहना था कि सार्वजनिक स्थान पर इस तरह की सजावट उचित नहीं है।
नगर परिषद की सफाई—रिसाइकलिंग था मकसद
विवाद बढ़ने के बाद नगर परिषद के सचिव एच. अभिलाष ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि इस क्रिसमस ट्री के जरिए शराब को बढ़ावा देने का कोई इरादा नहीं था। उनके अनुसार, इसका उद्देश्य केवल रीसाइक्लिंग और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना था, ताकि लोगों को कचरे के दोबारा उपयोग के प्रति जागरूक किया जा सके।
कैसे तैयार किया गया अनोखा क्रिसमस ट्री
खाली बियर की बोतलों को एक-दूसरे के ऊपर सजाकर शंकु के आकार में यह क्रिसमस ट्री बनाया गया है। इसके शीर्ष पर लाल रंग का सितारा लगाया गया है, जबकि पूरी संरचना को घंटियों, टैग्स और क्रिसमस बॉल्स से सजाया गया है। ट्री तक पहुंचने के लिए रेड कार्पेट भी बिछाई गई है, जिससे यह और अधिक आकर्षक नजर आता है।
पहले भी विवादों में रहा है गुरुवायूर नगर परिषद
यूडीएफ नेताओं का कहना है कि गुरुवायूर धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण स्थान है और यह अपने प्रसिद्ध मंदिर के लिए जाना जाता है। ऐसे में यहां बियर की बोतलों से क्रिसमस ट्री बनाना भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है। गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब गुरुवायूर नगर परिषद विवादों में घिरी हो। करीब दो महीने पहले बायोपार्क के बाहर महात्मा गांधी की प्रतिमा लगाए जाने को लेकर भी राजनीतिक विवाद खड़ा हो चुका है। अब एक बार फिर नगर परिषद का फैसला चर्चा के केंद्र में आ गया है।













