
बेंगलुरु। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पद को लेकर अपनी ओर से कोई सीधा जवाब देने से परहेज किया है। इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ 2025 में पत्रकारों के सवालों का सामना करते हुए उन्होंने कहा कि यह निर्णय पूरी तरह कांग्रेस आलाकमान और राज्य के सामूहिक नेतृत्व पर निर्भर करेगा। हालांकि, अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए शिवकुमार ने यह भी जोड़ा कि जीवन आशा के सहारे ही चलता है।
उन्होंने कहा, “समय ही जवाब देगा। मैं नहीं बताऊंगा, केवल समय ही बताएगा। इस दुनिया में किसी को भी आशा पर ही जीना पड़ता है। बिना आशा के कोई जीवन नहीं है।” इस बयान को शिवकुमार के राजनीतिक भविष्य के संकेत के रूप में देखा जा रहा है, विशेषकर उस चर्चा के बीच जब यह सवाल उठता रहा है कि कांग्रेस सरकार के दूसरे कार्यकाल के आधे समय के बाद क्या वे मुख्यमंत्री पद संभालेंगे।
कांग्रेस आलाकमान पर भरोसा
शिवकुमार ने स्पष्ट किया कि उनके लिए पार्टी नेतृत्व का निर्णय ही अंतिम है। उन्होंने कहा, यह मैं और मेरा नेतृत्व है। मैं और मेरी पार्टी, मैं और सिद्धारमैया। हमारे लिए पार्टी का हाईकमान ही सब कुछ है। वे जो भी निर्णय लेंगे, हम उसे पूरी तरह स्वीकार करेंगे। उनके इस रुख से साफ है कि वे व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से ऊपर पार्टी एकजुटता और अनुशासन को प्राथमिकता देते हैं।
जनता से किए वादों पर जोर
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का मुख्य ध्यान जनता से किए गए वादों को पूरा करने पर है। उन्होंने कहा, “हमने कर्नाटक की जनता से वादा किया है कि हम उन्हें अच्छी सरकार और सुशासन देंगे। यही सबसे महत्वपूर्ण बात है। हम सब मिलकर वह सब करेंगे, जो हमने जनता से वादा किया है।” इस दौरान उन्होंने गारंटी योजनाओं और सामाजिक कल्याण की नीतियों के सफल क्रियान्वयन पर भी जोर दिया।
कांग्रेस की मजबूती है एकता
डीके शिवकुमार ने यह भी कहा कि कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत उसकी एकजुटता है। उन्होंने कहा, “यह किसी एक व्यक्ति का प्रयास नहीं है, न मेरा, न सिद्धारमैया का और न किसी और का। हम सबने मिलकर अथक परिश्रम किया है। हमने जनता से वादा किया था, जनता ने हम पर भरोसा किया और इसी एकता ने हमें बड़ी शक्ति दी है।”
राजनीतिक संदेश
शिवकुमार के इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक दो पहलुओं में देख रहे हैं। एक ओर उन्होंने स्पष्ट किया कि सत्ता का निर्णय केवल आलाकमान करेगा, वहीं दूसरी ओर ‘बिना आशा जीवन नहीं’ जैसे शब्दों से उन्होंने यह संदेश भी दिया कि वे अभी भी अवसर की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इससे यह भी संकेत मिलता है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर उनकी महत्वाकांक्षा बनी हुई है, लेकिन वे खुलकर बयान देने के बजाय धैर्य का रास्ता अपना रहे हैं।
कर्नाटक की राजनीति में यह बयान आने वाले समय में और चर्चाओं को जन्म दे सकता है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों ही राज्य की कांग्रेस सरकार के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। ऐसे में उनकी साझेदारी और पार्टी हाईकमान के निर्देश ही यह तय करेंगे कि सत्ता की बागडोर आने वाले वर्षों में किसके हाथ में होगी।














