
देशभर में इन दिनों SIR को लेकर बवाल मचा हुआ है। खासतौर पर बिहार में विरोध-प्रदर्शनों का माहौल गर्म है। विपक्षी दल सरकार के साथ-साथ चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी गंभीर शंका जता रहे हैं। इस पूरे मामले में अब कांग्रेस ने और तीखापन लाते हुए चुनाव आयोग को आड़े हाथों लिया है। महाराष्ट्र को लेकर पहले ही सवाल उठा चुके राहुल गांधी ने इस बार कर्नाटक की ओर इशारा करते हुए बड़ा आरोप जड़ा है। उनके इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने भी अपनी सफाई दी थी, लेकिन अब कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भी मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने खुलकर कहा है कि कर्नाटक चुनाव में अनियमितताएं हुई हैं, और इसके पीछे पुख्ता सबूत हैं।
राहुल गांधी का तीखा आरोप: “हमारे पास सौ फीसदी प्रमाण हैं”
गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि उनके पास ऐसे दस्तावेज और आंकड़े हैं, जो यह साबित करते हैं कि कर्नाटक के एक विशेष लोकसभा क्षेत्र में चुनाव आयोग ने धांधली को नज़रअंदाज़ किया। उन्होंने सीधे चुनाव आयोग को चेतावनी देते हुए कहा, "इस बार आप नहीं बच पाएंगे। हम आपके खिलाफ कानूनी कदम उठाने जा रहे हैं।"
उनकी इस टिप्पणी से राजनीति की गर्माहट और बढ़ गई, और इसके जवाब में चुनाव आयोग को भी अपनी चुप्पी तोड़नी पड़ी।
#WATCH | Delhi | On Lok Sabha LoP and Congress MP Rahul Gandhi's statement, Karnataka Dy CM DK Shivakumar says, "We conducted research in many booths of Karnataka, especially in the urban sectors, where we found that votes were shifted there from various places without any proper… pic.twitter.com/jkFLpQy9x4
— ANI (@ANI) July 26, 2025
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया: “अगर शिकायत थी तो कोर्ट क्यों नहीं गए?”
राहुल गांधी के गंभीर आरोपों के जवाब में चुनाव आयोग ने एक औपचारिक बयान जारी कर कहा कि अगर किसी को चुनाव नतीजों पर आपत्ति है, तो वह संविधान सम्मत तरीके से उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर सकता है। आयोग ने याद दिलाया कि परिणाम घोषित होने के 45 दिनों के भीतर यह विकल्प हर प्रत्याशी और नागरिक के लिए खुला होता है। आयोग ने यह भी जोड़ा कि कर्नाटक लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतदाता सूची को लेकर न तो कोई अपील की गई और न ही RP अधिनियम, 1950 की धारा 24 के तहत कोई आपत्ति दर्ज हुई। “ऐसी स्थिति में निराधार और धमकी जैसे आरोपों का क्या औचित्य है?” — यह सवाल आयोग की ओर से सामने आया।
डीके शिवकुमार का खुलासा: “शहरी क्षेत्रों में फर्जी वोटिंग हुई”
इस पूरे घटनाक्रम के बीच, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने भी बयान देकर मामला और गंभीर बना दिया। उन्होंने राहुल गांधी के आरोपों का समर्थन करते हुए बताया, “हमने कर्नाटक के कई शहरी बूथों की जांच की, जहां हमें यह देखने को मिला कि वोटर लिस्ट में जानबूझकर बदलाव किए गए। वोट ट्रांसफर हुए, वो भी बिना किसी वैध दस्तावेज़ के।”
शिवकुमार ने आगे कहा कि कांग्रेस इन तमाम अनियमितताओं के पुख्ता सबूत जल्द ही चुनाव आयोग के समक्ष पेश करेगी। उन्होंने साफ कहा, “अगर आयोग इसे मानता है तो ठीक, वरना हम जनता के सामने सच्चाई लाकर रहेंगे।”
मध्य प्रदेश से ली गई प्रेरणा, 20 सदस्यीय टीम कर रही जांच
डीके शिवकुमार ने बताया कि इस जांच के लिए कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में पहले की गई एक केस स्टडी को आधार बनाया। इस प्रक्रिया में उनकी पार्टी की लीगल टीम के लगभग 20 सदस्य सक्रिय रूप से शामिल रहे। उन्होंने दावा किया, “हमने डेटा खंगाला, वोटर ट्रांसफर के पैटर्न का विश्लेषण किया और कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। लेकिन आयोग इन तथ्यों को स्वीकारने से कतरा रहा है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर अब पार्टी पीछे नहीं हटेगी, क्योंकि ये लोकतंत्र की जड़ों से जुड़ा मसला है।
क्या अब दबाव में आएगा चुनाव आयोग?
राहुल गांधी और डीके शिवकुमार दोनों की तरफ से आए इन बयानों के बाद चुनाव आयोग एक बार फिर कटघरे में है। हालांकि आयोग ने अभी तक सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है और इन्हें "झूठे और भ्रामक" करार दिया है। लेकिन यदि कांग्रेस अपने दावों के समर्थन में सार्वजनिक रूप से सबूत रखती है, तो यह विवाद और गहरा सकता है।
आगे की लड़ाई कानूनी या सड़कों पर?
अब सवाल ये है कि क्या कांग्रेस अदालत का रुख करेगी या इसे जनआंदोलन का रूप देगी? क्या चुनाव आयोग अंदरूनी जांच शुरू करेगा या आरोपों को यूं ही खारिज करता रहेगा? एक बात तो तय है—यह मामला आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है, और सियासी मैदान में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ हो सकता है।














